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१०६. पत्र : वसुमती पण्डितको

मंगलवार [५ जनवरी, १९२६][१]

चि० वसुमती,

तुम्हारा पत्र मिला। रामदास तो यहां समयपर ही पहुंचा है। यह बहुत घबराया हुआ था।

तुमने संस्कृत पढ़नेका निश्चय किया है, यह उचित ही है। अब तुम्हें इसपर दृढ़ रहना चाहिए।

मेरा बुखार जैसे आया था वैसे ही चला गया। इसमें लिखनेकी क्या बात थी ? मेरी तबीयत अच्छी रहती है। बुखार कुल तीन बार आया; वह एक दिन छोड़कर आता था। तुम्हें मालूम है, अभी तो मैं यहाँ एक वर्ष रहनेवाला हूँ।

मणिबहन (वल्लभभाईकी पुत्री) वर्धा गई है। वह वहाँ शिक्षिकाका कार्य करेगी।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०३) की फोटो-नकलसे।

सौजन्य : वसुमती पण्डित

१०७. पत्र : मणिबहन पटेलको

[६ जनवरी, १९२६ से पूर्व][२]

चि० मणि,

तुम्हारे वहाँ (वर्धा) पहुँच जानेका समाचार जमनालालजीने लिखा है। मुझे नियमपूर्वक पत्र लिखती रहना। कमला और मदालसाकी देखरेख अच्छी तरह करना। क्या कक्षाके शेष बच्चोंके बारेमें भी कुछ कहना आवश्यक है ? तुमने देवधरको धन्य- वादका पत्र लिखा था या नहीं ? न लिखा हो तो अब मराठीमें लिख देना।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च :]

मैं आते ही उसी दिन नन्दूबहनके[३] पास गया था। उन्होंने बड़े धैर्यका परिचय दिया।

[गुजरातीसे]

बापुना पत्रो - ४ : मणिबहेन पटेलने

  1. १. पत्रमें रामदासके पहुँचनेके उल्लेखके आधारपर। देखिए “पत्र : नारणदास गांधीको”, ४-१-१९२६।
  2. २. देखिए “पत्र : मणिबहन पटेलको ", ६-१-१९२६
  3. ३. विजयागौरी कानूगा; अहमदाबादके सुप्रसिद्ध डाक्टर कानूगाकी पत्नी जिनके बारह वर्षीय पुत्रका एकाएक देहान्त हो गया था।