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११०. आसक्ति या आत्मत्याग

अपने अगणित सहयोगियोंको मुझे यह बताते हुए दुःख होता है कि लगभग एक वर्षके लिए मैं अपने दौरेका कार्यक्रम स्थगित कर रहा हूँ। स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई अनिवार्य कारण आ पड़ने अथवा किसी आकस्मिक घटनाको छोड़कर इस वर्ष, कमसे-कम २० दिसम्बरतक मैं आश्रमके बाहर, और अहमदाबादके बाहर तो कदापि, पैर नहीं रखूंगा। यह निश्चय कानपुरमें कांग्रेस सप्ताह के दौरान वहाँ आये हुए प्रमुख सहयोगियों के साथ सलाह करके लिया गया है। इस निश्चयके मुख्यतः तीन कारण हैं :

(१) अपने थके हुए शरीरको यथासम्भव अधिकसे-अधिक आराम दे सकूँ । डा० अन्सारीने इस सम्बन्धमें बड़ी लम्बी-चौड़ी हिदायतें लिख भेजी हैं और कहा है कि जहांतक हो सके मैं मानसिक श्रम भी न करूँ ।

(२) आश्रमकी देखभाल में स्वयं कर सकूं। ध्यान तो मुझे उसपर उसकी शुरुआत से ही देना चाहिए था; परन्तु उसके खुलनेके बाद पहले एक वर्षको छोड़कर मैं फिर कभी इस ओर ध्यान नहीं दे सका।

(३) अखिल भारतीय चरखा संघकी स्थितिको, जो सन्तोषजनक तो है ही, व्यावसायिक आधारपर ला सकूं। इसके लिए लगातार देखभाल और छोटी-बड़ी सभी बातोंकी ओर ध्यान देनेकी आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब संगठन मन्त्री किसी भी समय मुझसे काम ले सकें ।

मैंने जो कदम उठाया है उसके लिए इन कारणोंमें से कोई भी कारण काफी है; यदि तीनों कारणोंको मिलाकर देखा जाये तो यह बात बिलकुल ही स्पष्ट हो जाती है कि सालभर मेरा आश्रममें बना रहना निहायत जरूरी है।

सम्भवतः इससे अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक अर्थात् अखिल भारतीय चरखा संघके लिए धन संग्रहके कार्यको धक्का लगेगा। लेकिन यह खतरा उठा लेना अधिक ठीक समझा गया । मैं अब सहयोगियोंसे पहले की अपेक्षा कहीं अधिक प्रयत्न करनेकी आशा करूंगा। लेकिन अपने मित्रोंसे मुझे यह आशा है कि वे चन्दा माँगे जानेका इन्तजार किये बिना चन्दा भेजते रहेंगे। इस कोषके साथ एक महान् व्यक्तिका नाम तो जुड़ा ही है, इसके अलावा यह कोष इसलिए इकट्ठा किया जा रहा है कि खादीके प्रसारके लिए इसका तुरन्त उपयोग किया जाये। यदि खादीका उत्पादन प्रचुर मात्रा बढ़ाना है, और इसे सस्ते दामों बेचना है या दूसरे शब्दोंमें, यदि और अधिक बेकारोंको रोजी तथा और अधिक भूखोंको रोटी देनी है तो इस समय लगभग दस लाख रुपये खर्च करना जरूरी होगा। यद्यपि मैंने इस बातकी कभी घोषणा नहीं की, किन्तु मुझे यह स्वीकार करनेमें तनिक भी संकोच नहीं है कि मेरी अपनी इच्छा इस स्मारकके लिए एक करोड़ रुपया इकट्ठा करनेकी थी । यदि अखिल बंगाल स्मारक-

के लिए दस लाखकी रकम हो सकती है तो अखिल भारतीय स्मारकके लिए उस