पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/४०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

११८. पत्र : कमलाशंकरको

९ जनवरी, १९२६

भाई कमलाशंकर,

आपके पत्रका उत्तर देनेमें विलम्ब हुआ है। आशा है आप मुझे इसके लिए क्षमा करेंगे ।

१. मेरा दृढ़ विचार है कि अस्पृश्यताकी आत्माका नाश हो चुका है; और अब केवल उसकी देह रह गई है। कच्छ यात्राके बाद मेरा यह विश्वास और भी दृढ़ हो गया है।

२. आपका पण्डितजीके कथनसे जितना विरोध है उतना विरोध मेरा नहीं है। स्कीन समितिकी सदस्यता स्वीकार करने और उसका मन्त्री बननेमें जो भेद है में उसे समझ सकता हूँ। मुझे तो विधान सभाओं में प्रवेश करनेकी बात ही निरर्थक लगती है। तब वहाँ जाकर प्रशासन सम्भालनेका तो प्रश्न ही कहाँ उठता है।

३. मेरा कार्य पूरा हो गया है अथवा नहीं, अगर मैं यह बात जान लूं तब तो कहा जा सकता है कि मुझे ज्ञान प्राप्त हो गया; मेरे कार्योंसे नीति में वृद्धि हुई है या उसमें कमी हुई है, मैं तो इसे तौलनेमें भी असमर्थ हूँ ।

४. 'संस्कृति ' का अर्थ है व्यक्ति या समाज जिसे सभ्यता मानते हैं, उसका सार । नैतिकता तो देश और कालसे निरपेक्ष होती है। जो मनुष्य पाप और पुण्यमें भेद नहीं मानता मैं उसे दूरसे ही नमस्कार करता हूँ ।

५. मेरा खयाल है कि इसमें से बहुत कम रुपया दिया गया था।

६. यदि सभी वल्लभभाई जैसा साफ-सुथरा हिसाब रखें तो राष्ट्रका नैतिक स्तर बहुत ऊँचा उठ जाये। थैली दस लाख रुपयेकी तो क्या होगी। मैं इतना जानता हूँ कि थैली मुझे मिलेगी अवश्य ।

७. मैं तो विद्यापीठको एक भी अच्छे विद्यार्थीके लिए चलाता रहकर अन्ततः उस- की उन्नतिकी आशा रखूंगा। अवश्य ही मैं उसे बन्द करना बदनामी की बात मानूंगा ।

८. मुझे बम्बई कांग्रेस कमेटीके प्रबन्धकी कोई जानकारी नहीं है ।

९. मशरुवालाके विचारोंके प्रति मेरे मनमें बहुत सम्मानका भाव है। वे साधु चरित्र पुरुष हैं। मैंने उनके कला-सम्बन्धी विचार पढ़े हैं।

[ अपूर्ण ? ][१]

गुजराती प्रति (एस० एन० १२१७७) की फोटो-नकलसे ।

२. यह सैंडहस्ट समितिके नामसे भी विदित थी। यह १९२५ में सर एन्ड्यू स्कीनको अध्यक्षतामें नियुक्त की गई थी।

३. यह एक शब्द प्रतिलिपिकारके अक्षरोंसे भिन्न अक्षरों में है।

  1. १. मोतीलाल नेहरू ।