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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी मुझे भूल जाना चाहिए। यदि वल्लभभाई अनुमति दें तो में अहमदाबादको भी इस व्रतमें सम्मिलित करनेकी घृष्टता करना चाहता हूँ; ताकि मैं अपने मनके मोहसे और अन्य किसीको समझाकर बताने से छुटकारा पा जाऊँ । यदि कदाचित् वल्लभभाई मुझे वैसी मुक्ति न दे सकें तो स्वयं अहमदाबादनिवासी मुझे छोड़ दें और किसी भी आयोजनमें न बुलायें, ऐसी मेरी इच्छा है।

मैं ज्यों-ज्यों आश्रमकी प्रवृत्तियोंका अध्ययन कर रहा हूँ और चरखा संघके कार्यकी जाँच करता जा रहा हूँ त्यों-त्यों देखता हूँ कि यदि मैं आश्रम, चरखा संघ और 'यंग इंडिया' तथा 'नवजीवन' के साथ पूरा न्याय करना चाहता हूँ तो इनके कामके बाद मेरे पास बिलकुल भी समय नहीं रहता और और यदि मैं एक वर्ष तक शान्तिपूर्वक कार्य कर सकूँ तो मुझे विश्वास है कि मेरी सेवा करनेकी शक्तिमें वृद्धि हो जायेगी । इस बातको जानकर अहमदाबादके कार्यकर्ताओंसे मेरी विनती है कि वे इस वर्षके दौरान सार्वजनिक कार्योंके लिए मेरा अहमदाबाद जाना भी बचायें ।


[ पुनश्च : ]

उपर्युक्त टिप्पणी लिखनेके वाद वल्लभभाईसे मेरी बातचीत हुई और वे इस बातसे सहमत हैं कि मैं अपनी प्रतिज्ञा अहमदाबादको भी सम्मिलित कर लूँ । किन्तु वे यह मानते हैं कि यदि मैं सचमुच में शान्ति चाहता हूँ तो मेरा क्षेत्र-संन्यास आश्रम- संन्यासतक ही सीमित होना चाहिए। अतः अब मैं आश्रमके बाहरकी किसी भी प्रवृत्तिमें भाग नहीं लूंगा; अहमदाबादमें भी नहीं जा सकूँगा । यदि कोई अचीता काम आ पड़े या स्वास्थ्यके रुपालसे बाहर जाना मेरे लिए आवश्यक हो जाये तो ऐसी अपवादरूप स्थिति मान्य ही होगी।

[ गुजराती से ]
नवजीवन, १०-१-१९२६

१२१. महागुजरातमें खादी

मेरी यात्रा के दौरान अनेक स्थानोंपर लोगोंने मुझसे पूछा : “खादीके सम्बन्धमें आपका गुजरात क्या कर रहा है? वहाँ कितने खादीपोश हैं ? वहाँ सूत कातनेवाले कितने सदस्य हैं ? क्या वे नियमपूर्वक सूत देते हैं ? गुजरातमें खादीका कितना उत्पादन किया जाता है? क्या वहाँ महीन खादी बनती है ? " अनेक लोग भिन्न-भिन्न भावोंसे प्रेरित होकर ऐसे तमाम प्रश्न पूछते रहते हैं। मेरे पास इनका सन्तोषजनक उत्तर नहीं होता; क्योंकि गुजरातमें खादी पहननेवालोंकी संख्या अन्य प्रान्तोंकी अपेक्षा अधिक नहीं दिखाई देती । खादीके उत्पादनमें तो हम बहुत पीछे ही हैं। सूत कातनेवाले सदस्य भी अपेक्षासे कम ही हैं। लेकिन गुजरात चाहे तो इस सारी स्थितिको तुरन्त बदल सकता है। गुजरात सारे हिन्दुस्तानके लायक सूत कात सकता है क्योंकि गुजरातमें कपास बहुत होती है, गुजरातमें अन्य प्रान्तोंसे घन भी अधिक