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इतिहास १५
दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका

रूप धारण कर लिया। सन् १८९९ से लेकर १९०२ तक होनेवाली संसार प्रसिद्ध लड़ाईके' रूपमें यह नासूर फूटा और जब लॉर्ड रॉबर्ट्सके सम्मुख जनरल कोंजेने आत्मसमर्पण कर दिया तो लॉर्ड रॉबर्ट्सने स्वर्गीया महारानी विक्टोरियाको तारसे खबर दी, 'मजूबाका बदला ले लिया गया ।' जब बोअर युद्धसे पहले दोनोंमें पहली बार मुठभेड़ हुई थी तब वलन्दा लोगोंमें से बहुतसे अंग्रेजोंको सत्ता किसी भी रूप में स्वीकार करनेके लिए तैयार न थे, इसलिए वे दक्षिण आफ्रिकाके भीतरी भागों में चले गये थे और इसीके परिणामस्वरूप ट्रान्सवाल और ऑरेंज फ्री स्टेटका जन्म हुआ था ।

बादमें यही वलन्दा अथवा डच लोग दक्षिण आफ्रिकामें बोअर कहलाने लगे। उन्होंने अपनी भाषाकी सेवा और रक्षा ऐसे ही की जैसे कोई सपूत अपनी माँकी करता है। उनके मनमें यह बात बैठ गई है कि जातिकी स्वतन्त्रता और उसकी मातृभाषामें बड़ा घनिष्ट सम्बन्ध है। निरन्तर प्रहार होनेपर भी ये लोग अपनी मातृ- भाषाकी रक्षा कर रहे हैं। इस भाषाका रूप यहाँ आवश्यकताके अनुकूल बदल गया है। ये लोग हॉलैंडसे निकट सम्बन्ध नहीं रख सके, इसलिए जिस तरह संस्कृत से प्राकृत भाषा बन गई उसी तरह डच भाषासे बिगड़कर एक अन्य भाषा बन गई है। जिसे ये बोअर बोलने लग गये हैं। वे अब अपने बालकोंपर अनावश्यक बोझ नहीं डालना चाहते; इसलिए उन्होंने इस नई प्राकृत भाषाको स्थायी रूप दे दिया है। यह भाषा 'टाल' के नामसे प्रसिद्ध है। इसी भाषामें वे पुस्तकें लिखते हैं। इसीमें बोअर बालकोंको शिक्षा दी जाती है और बोअर सदस्य विधान सभामें इसीमें भाषण देते हैं। दक्षिण आफ्रिकाका संघ बनने के बाद समस्त दक्षिण आफ्रिकामें टाल और अंग्रेजी दोनों भाषाओंको एक-सा स्थान प्राप्त है, यहांतक कि संघ के सरकारी 'गजट' को और विधानसभाकी कार्रवाईको दोनों भाषाओं में छापना जरूरी होता है। बोअर लोग सरल स्वभावके भोले-भाले और धर्मपरायण हैं। वे बड़े-बड़े फार्मोंपर रहते हैं। हम दक्षिण आफ्रिकाके फार्मोंकी कल्पना नहीं कर सकते। हमारे खेत दो या तीन बीघेके अथवा कई बार उससे भी छोटे होते हैं। वहाँके फार्म सैकड़ों और हजारों बीघोंके होते हैं। एक आदमीके कब्जेमें बड़े-बड़े रकबेके फार्म होते हैं। इन किसानोंको इन जमीनोंको तत्काल जोतनेका लोभ भी नहीं होता और यदि कोई उनसे तर्क करता है तो वे कहते हैं, 'पड़ी भी रहने दो। जिस जमीनमें हम खेती नहीं करते, हमारी सन्तान उसे जोतेंगी, बोयेंगी। '

सभी बोअर युद्धकी कलामे पूर्ण कुशल होते हैं। वे आपसमें भले ही लड़ते- झगड़ते रहें, किन्तु उन्हें अपनी स्वतन्त्रता इतनी प्यारी है कि जब उसपर कोई आक्रमण होता है तो वे सभी एक होकर लड़नेके लिए तैयार हो जाते हैं। उनको बहुत अधिक कवायद आदि सिखानेकी आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि लड़ना तो उस समस्त जातिका स्वाभाविक गुण ही है। जनरल स्मट्स, जनरल डी'वेट और जनरल हरजोग तीनों, जैसे बहुत बड़े वकील और बहुत बड़े किसान हैं, वैसे ही बहुत बड़े योद्धा भी है।

१. देखिए खण्ड ३