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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक कार्य निष्काम वृत्तिसे किया जाना चाहिए । प्रयत्न करना हमारे अधिकारमें है, फल पाना नहीं। हम उद्योग करके ही पूर्ण सन्तोष मान लें। उसमें कभी हार न मानें । अन्तम तो वह समय आयेगा ही जब तुम यहाँ काम करोगी ।

मैं जब यहाँ हूँ, उस समय तुम्हें दूर रहना है, इस बातका खेद नहीं करना । हम पत्र द्वारा तो मिलेंगे ही।

अपना स्वास्थ्य सम्भालना; इसके लिए अपने मनको पूरी तरह बिलकुल प्रसन्न रखना चाहिए ।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]
बापुना पत्री - ४: मणिबहेन पटेलने

१२६. पत्र: विट्ठलदास जेराजाणीको

साबरमती आश्रम
शुक्रवार, ११ जनवरी, १९२६


भाई विठ्ठलदास,

मेरे पास एक शिकायत आई है कि तिरुपुरकी खादीकी किस्म दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जाती है और उसमें धोखाधड़ी बढ़ती जाती है। तुम तो इस खादीके बारेमें सब बातें जानते हो। इसलिए तुम्हारा जो अनुभव हो उससे मुझे अवगत करना ।

तुमने नारणदासको जो पत्र लिखा सो मैंने पढ़ा। मुझे उससे बहुत हँसी आई । उसमें लिखी बात तनिक भी सच हो सकती है, ऐसा मुझे नहीं लगता। यदि हो तो उसे एक दृष्टिसे बहुत उचित माना जा सकता है।

बापूके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (एस० एन० ९७६१) की फोटो-नकलसे ।