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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मोतीका[१] विवाह आगामी सोमवारको यहीं होगा।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ५५२) से।

सौजन्य : वसुमती पण्डित

१३१. पत्र : नाजुकलाल एन० चौकसीको

बुधवार, १३ जनवरी, १९२५

भाई नाजुकलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। लक्ष्मीदास और मोतीने भी उसे पढ़ लिया है। मोती तो तुमसे ही विवाह करनेको कहती है। उसे हम सब इस ओर प्रोत्साहित रखना चाहते हैं। यदि वह दृढ़तापूर्वक तुमसे ही विवाह करेगी तो इसे तो मैं इस युगका आदर्श विवाह मानूंगा। लेकिन वसन्त पंचमीका मुहूर्त निकल जाये तो भी उसे विचार करने देना ही ठीक लगता है। तुम अपना खयाल रखना। तबीयत अच्छी हो गई हो तो यहाँ आ ही जाना। यहीं तुम्हारी सेवा-शुश्रूषा हो जायेगी। तुम सोमवारको यहाँ पहुँच जाओगे तो मुझे इससे बहुत प्रसन्नता होगी; लेकिन यदि स्थिति ऐसी न हो तो मेरा आग्रह नहीं है। तुम्हारे मनमें जो विचार आयें उनसे मुझे अवगत करना। तुम पत्र न लिख सको तो किसीसे लिखवा दिया करना।

भगवान तुम्हारा भला करे।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १२१०७) की फोटो-नकलसे।

१३२. वर्णभेदका पाप

दक्षिण आफ्रिकामे हम लोगोंको अपनी राष्ट्रीयता और रंगके अपराधके कारण दण्ड भोगना पड़ता है और हिन्दुस्तान में हम हिन्दू लोग अपने सहधर्मियोंको जाति [और वर्ण] के अपराधके कारण दण्डित करते हैं। पंचम वर्णका मनुष्य बहुत बड़ा अपराधी है और इसलिए वह अस्पृश्यता, अनुपगम्यता, सवर्णोकी दृष्टितकसे दूर रखने आदि अनेक सजाओंके योग्य समझा जाता है। मद्रास महाप्रान्तकी अदालतमें अभी जो एक असाधारण मुकदमा चला था उससे हमारे निम्न श्रेणीके दलित देशवासियोंकी उपर्युक्त दशापर बड़ा प्रकाश पड़ता है। सरल स्वभाववाले और साफ कपड़े पहने हुए पंचम जातिका एक व्यक्ति किसीका भी दिल दुखाने या किसी भी धर्मका अपमान करनकी जरा भी इच्छा न रखते हुए पूर्ण भक्तिभावसे प्रेरित होकर एक मन्दिरमें गया। वह

  1. १. लक्ष्मीदास आसरकी पुत्री।