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१३९. पत्र: फूलसिंहको

आश्रम

माघ सुदी २ [१६ जनवरी, १९२६][१]

भाई फूलसिंहजी,

आपका पत्र मिला। मैं आपके नजरियेको अच्छी तरह समझ सकता हूँ; लेकिन मैं समझता हूँ कि इस विषयमें व्यक्तिगत चर्चा करने से कोई ठीक उद्देश्य नहीं सधेगा।

मोहनदासके वन्देमातरम्

भाई फुलसिंहजी
चरोतर शिक्षा मण्डल
आनन्द

गुजराती पत्र (एस० एन० १२९४) की फोटो-नकलसे।

१४०. पत्र : नाजुकलाल एन० चौकसीको

शनिवार, १६ जनवरी, १९२६

भाई श्री ५ नाजुकलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। चि० मोतीका पत्र उसे दे दिया है। तुमने जो पत्र मुझे लिखा है उसने वह पत्र भी पढ़ लिया है। जवाब इसके साथ है। उसकी खराब लिखावट और भाषा तो अब तुम्हें ही सुधारनी होगी। पत्रके विचार तो ठीक लगते हैं; यह खुद उसीने प्रकट किये हैं।

विवाह विधि ठीक तीन बजे सोमवारकी सांझको शुरू होगी। मैं उस समयतक तैयार रहूँगा।

तुम जिन्हें साथ लाना चाहो खुशीसे लाओ। कौन-कौन छुआछूतका विचार करते हैं, यह मुझे सूचित कर देना।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १२१११) की फोटो नकलसे।


  1. १. ढाककी मुहरसे