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१४६. भेंट : लैंजलॉथ और केलीसे

[२१ जनवरी, १९२६ से पूर्व]

श्रीमती लैजलॉथ और श्रीमती केली गत सप्ताह गांधीजीसे मिलने आईं। वे अपने साथ "फेलोशिप ऑफ फेथ्स", "लीग ऑफ नेबर्स" तथा "यूनियन ऑफ ईस्ट ऐंड वेस्ट" का प्रस्ताव लाई थीं। उन्हें इन संस्थाओंकी ओरसे स्वयं जाकर गांधी- जीको अमेरिका आनेके लिए निमन्त्रित करनेका कार्य सौंपा गया था। क्या उत्तर प्राप्त होगा सो तो स्पष्ट ही था; किन्तु गांधीजीके हाथमें उक्त प्रस्ताव देना उनका काम था। श्रीमती केलीने बहुत संकोचके साथ पूछा कि श्री गांधी, क्या आप अमेरिका नहीं पधारेंगे ? हम लोगोंकी उत्कट इच्छा है कि आपका सन्देश हम आपके ही मुखसे सुनें? मैं जानती हूँ कि आप, वहाँ जो धन मिलेगा, उसका कोई खयाल नहीं करते, परन्तु मेरा निवेदन है कि आपके अमेरिका जानेसे आपके कार्योंके लिए यहाँ आर्थिक सहायता भेजनमें हमें मदद मिल सकती है। वहाँ ऐसे अनेक निजी परिवार हैं जो आपका स्वागत करने तथा जबतक आप वहाँ ठहरेंगे, आपकी देखभाल करनेके लिए तैयार बैठे हैं। [गांधीजीने उत्तर दिया : ]

मैं जानता हूँ कि यदि मैं कभी अमेरिका गया तो आप लोग मुझपर स्नेहकी वर्षा कर देंगे; किन्तु जैसा कि मैं पहले अन्य मित्रोंको बता चुका हूँ, मैं फिलहाल यहाँ अपना काम समाप्त किये बिना वहाँ जानेकी बात नहीं सोच सकता। मुझे अपने ही देशवासियोंके बीच काम करना है और अपने मार्गसे नहीं भकटना है। डा० वार्डने अभी कुछ ही दिन पहले मुझे लिखा था कि वे मेरे इस विचारसे सर्वथा सहमत हैं कि वर्तमान परिस्थितियोंमें मेरा वहाँ जाना अधिक उपयोगी न होगा। क्या आपके विचारमें उन्होंने ठीक नहीं कहा ? मैं जानता हूँ कि मेरा भाषण सुनने के लिए मेरे चारों ओर भीड़ एकत्र होगी, मेरा सब जगह स्वागत होगा, किन्तु इसके अतिरिक्त मेरी अमेरिका यात्राका और कोई परिणाम नहीं निकलेगा।

[श्रीमती केली : ] श्री गांधी, क्या आप यह नहीं मानते कि हम लोग आपका सन्देश सुननेके लिए व्यग्र हैं ? " फेलोशिप ऑफ फेथ्स" के तत्वावधानमें एकत्र होनेवाले जन-समूहके बारेमें विचार करें। उसमें कमसे कम दस धर्मोके प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे। और जब आपके बारेमें एक भाषण रेडियोपर प्रसारित किया गया तो उसे लाखों व्यक्तियोंने बड़े ध्यानसे सुना था। श्री जॉन हेन्स होम्स भी हृदयसे चाहते हैं कि आप वहाँ आयें। हमारा देश प्रगति कर रहा है; हम चाहते हैं कि प्रगतिको गति और तेज हो।

मैं जानता हूँ, आपका देश बढ़ रहा है; किन्तु धीरे-धीरे तथा निरन्तर होती रहनेवाली वृद्धि उस वृद्धिसे अधिक टिकाऊ रहेगी जो धुआंधार भाषणों और व्याख्यान-