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पत्र: ब्रिटिश एजेंटको

तीयोंमें से ऐसे प्रत्येक व्यक्तिपर पड़ता है, जो आजीविकाकी खोजमें भारतसे बाहर जाना चाहता हो।

[अंग्रेजीसे]

टाइम्स ऑफ इंडिया (साप्ताहिक संस्करण), १९-८-१८९९ ।

४६. पत्र : उपनिवेश-सचिवको
डबेन
 
जुलाई १३, १८९९
 

श्रीमन्,

मैंने इसी महीनेकी ६ तारीखको विक्रेता-परवाना अधिनियमके विषयमें जो पत्र लिखा था, उसमें एक भूल रह गई थी। उसे मैं ठीक कर देना चाहता हूँ।

जिस प्रकारकी कठिनाइयाँ होनेकी मैंने अपने पत्रमें चर्चा की है उस प्रकारकी कठिना- इयोंका पोर्ट शेप्स्टोनमें केवल एक मामला हुआ है। दूसरा मामला परवाना-अधिकारीतक पहुँचा ही नहीं, क्योंकि जिस वकीलको ये दोनों मामले सौंपे गये थे उसने पहले मामलेके दुर्भा- ग्यपूर्ण परिणामके कारण अपने दूसरे मुअक्किलको आगे न बढ़नेकी सलाह दे दी। अब दूसरी अर्जी भी पेश करनेकी तैयारी की जा रही है।

आपका, आदि,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, मेमोरियल्स ऐंड पिटिशन्स, १८९९ ।

४७. पत्र: ब्रिटिश एजेंटको
जोहानिसबर्ग
 
जुलाई २१, १८९९
 

सेवामें

माननीय ब्रिटिश एजेंट

प्रिटोरिया

श्रीमन्,

जोहानिसबर्गके भारतीय समाज की ओरसे मै श्रीमान्के सामने नीचे लिखी बातें पेश करना चाहता हूँ:

१. बृहस्पतिवार (२० जुलाई १८९९) को आपने हमारे शिष्टमण्डलको भेंट देनेकी कृपा की थी। शिष्टमण्डलके सदस्य थे : हाजी हबीब हाजी दादा, श्री० एच० ओ० अली, श्री अब्दुर्रहमान और मैं। भेटमें आपने हमको बतलाया था कि सम्राज्ञीकी सरकार

१. यह पत्र जुलाई २२, १८९९ के बाद पूरा हुआ और भेजा गया था।

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