पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९४
सम्पूर्ण गांधी वाङमय

इस समय इस सारे मामलेमें अर्थात् ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीयोंकी समय हैसियतके प्रश्नमें हस्तक्षेप करना पसन्द नहीं करेगी। इसलिए भारतीयोंको १८८६ में संशोधित १८८५ के कानून ३ का पालन करना ही चाहिए। परन्तु सम्राज्ञीकी सरकार बस्तियोंके स्थान और लम्बी मियादके पट्टों आदि जैसे विशेष मामलोंमें किसी भी समय हस्तक्षेप करनेके लिए तैयार रहेगी।

२. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि क्योंकि सम्राज्ञीकी सरकारने उक्त कानूनको स्वीकृत कर लिया है, इसलिए भारतीय लोगोंकी इच्छा भी यह नहीं है कि जबतक वह इस गणराज्यके कानूनमें सम्मिलित रहें तबतक वे उसका पालन न करें।

३. परन्तु, मैं आपको उचित सम्मानपूर्वक बतलाना चाहता हूँ जैसा कि मैंने गत बृह- स्पतिवारकी भेंटमें भी बतलाया था--कि क्योंकि कानूनके उल्लेखानुसार, इन बस्तियोंका निर्देश सफाईके उद्देश्यसे किया जानेवाला है, इसलिए यह स्पष्ट रूपसे सिद्ध कर दिया जाना चाहिये कि उस आधारपर ऐसा करना जरूरी हो गया है। और यदि वैसा करते हुए यह प्रश्न उठे कि प्रत्येक भारतीयको भी यह सिद्ध करना चाहिए कि वह सफाईके सब नियमोंका पालन करता रहा है और सफाईकी दृष्टिसे नगरमें उसकी उपस्थितिके कारण लोगोंको किसी प्रकारका खतरा नहीं है, तो भी बात बहुत सीधी लगती है। यदि सम्राज्ञीकी सरकार इस बातको मनवाने में सफल हो जाये कि ट्रान्सवाल-सरकार उन भारतीयोंको नहीं हटायेगी जो अपनी सफाई-सम्बन्धी स्थितिके सन्तोषजनक होनेके प्रमाण पेश कर देंगे, तो मेरा निवेदन है कि शेष सारी बातका बोझ सम्बद्ध पक्ष अपने सिर उठा लेंगे और उसके लिए सम्राज्ञीकी सरकारको कष्ट नहीं देंगे।

४. मालूम होता है, इस समय, भारतीय बस्तियोंको छोड़कर जोहानिसबर्ग और उसके उपनगरोंमें १२५ ब्रिटिश भारतीय दूकानदार और कोई ४००० फेरीवाले रहते हैं। अन्दाजा यह है कि इन दुकानदारोंकी अनबिकी सम्पत्ति सब मिलाकर कोई ३,७५,००० पौंडकी और फेरीवालोंकी कोई ४,००,००० पौंडकी होगी।

५. ३ या ४ को छोड़कर प्रायः सब दूकानदारोंके पास पट्टे हैं। परन्तु उनमें से किसीने भी सरकारकी इस विज्ञप्तिका लाभ नहीं उठाया कि वे सब अपने पट्टोंको दफ्तर-दर्ज (रजिस्ट्री) करा लें।

६. लोग पहले तो थे ही, अब भी भयभीत अवस्थामें हैं। वे नहीं जानते कि क्या करें और क्या न करें। अखबारोंमें इस आशयका तार छपा है कि सम्राज्ञीकी, सरकार और ट्रान्सवाल-सरकारमें बातचीत अब भी चल रही है और सम्राज्ञीके उच्यायुक्तको हिदायत दी गयी है कि वे ब्लूमफांटीन सम्मेलनमें इस मामलेको उठायें। इसके कारण भी दूकानदारोंने अपने पट्टोंको दफ्तर-दर्ज नहीं कराया।

७. जोहानिसबर्गके निवासी भारतीय, चाहे तो भी ब्रिकफील्ड्सकी बस्तीमें नहीं जा सकते।

८. जोहानिसबर्गके वतनी लोगों और यातायातके इन्स्पेक्टरकी १० जनवरी १८९६ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिकफील्ड्समें ३०४५० फुटकी छियानवे कच्ची दुकानें हैं। इन्स्पेक्टरने लिखा है कि उस समय भी बस्तीमें बड़ी भीड़ थी; उसकी आबादी ३३०० थी। और अब तो, इस दृष्टिसे, बस्तीको अवस्था शायद १८९८ से भी अधिक खराब होगी।

१. उच्चायुक्तको निर्देश दिया गया था कि वे दक्षिण आफ्रिकी सरकारको प्रत्येक नगरमें एशियाई बस्ती बनानेकी सम्भावनाका सुझाव दें। पाद-टिप्पणी १, पृष्ठ ६८ भी देखिए ।

Gandhi Heritage Portal