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पत्र: ब्रिटिश एजेंटको

९.पता चला है कि दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यकी सरकार नगरके भारतीयोंको वाटर- काल नामक स्थानपर हटाना चाहती है। यह स्थान जोहानिसबर्गके केन्द्र जोहानिसबर्ग मार्केट-स्क्वेयरसे ४३ मील दूर है। वहाँका पैमाइशी नक्शा और वहाँके विषयमें डाक्टरी रिपोर्ट इस प्रार्थनापत्रके साथ संलग्न हैं। नक्शे में नगरके आबाद भागके किनारेसे भी उसकी दूरी दिखलाई गई है।

१०. निवेदन है कि भारतीयोंको वहाँ चले जानेके लिए कहनेका मतलब उन्हें ट्रान्सवाल ही छोड़कर चले जानेके लिए कहना होगा। दूकानदार वहाँ जाकर कुछ भी व्यापार नहीं कर सकेंगे। फेरीवालोंसे भी यह आशा नहीं की जा सकती कि वे अपना माल उठाकर रोज वहाँसे आया-जाया करें।

११. वहाँ स्वास्थ्य और सफाईका, पानीका और पुलिसकी रक्षाका तो कोई प्रबन्ध है ही नहीं, वह है भी उस स्थानकी बगल में जहाँ कि नगरका कूड़ा और मल-मूत्र फेंका जाता है। परन्तु ये सब बातें भी इस तथ्यको तुलनामें गौण लगने लगती है कि यह स्थान नगरसे तो ४१ मील है; अन्य कोई बस्ती भी इसके चारों ओर दो मीलतक नहीं है।

१२. जान पड़ता है, सरकारने इस स्थानके सम्बन्धमें जोहानिसबर्गके हर्मन टोबियांस्कीके साथ कोई इकरार कर लिया है। इसका पता इस प्रार्थनापत्रके साथ संलग्न उस इकरारनामे की एक प्रतिसे चलता है।

१३. जो लोग पट्टेपर दी हुई इस जमीनपर बसेंगे, उनकी दृष्टिसे, यह इकरारनामा अति हानि- कारक शर्तोंसे भरा हुआ है। परन्तु यहाँ उनकी विस्तारसे चर्चा करनेकी आवश्यकता नहीं, क्योंकि यह स्थान ही उक्त प्रयोजनके लिए स्पष्टतया अनुपयुक्त है।

१४. प्रतीत होता है कि काफिर जातिके लोगोंने भी इस स्थानपर हटाये जानेका प्रतिवाद किया है, यद्यपि वे अधिकतर मजदूर हैं और उनपर व्यापारिक दृष्टिसे इस परिवर्तनका प्रभाव नहीं पड़ता।

१५. यह निवेदन बार-बार किया जा चुका है कि ये बस्तियाँ कहीं भी हों, भारतीय दूकानदारोंको इनमें हटानेसे उनका सर्वनाश प्रायः निश्चित है।

१६. इसलिए सादर निवेदन है कि यदि सम्राज्ञीकी सरकार इस प्रार्थनापत्रके अनुच्छेद ३ में नम्रतापूर्वक सुझाई गई दिशामें कदम उठानेको तैयार न हो तो कमसे-कम वर्तमान दूकानदारोंको तो अछूता छोड़ ही दिया जाये; इससे कममें सर्वनाशसे उनकी रक्षा नहीं हो सकती। यदि सर्वथा आवश्यक ही हो तो फेरीवालोंको उपयुक्त स्थानपर बसाई हुई और अन्य प्रकारकी आपत्तियोंसे मुक्त किसी बस्तीमें हटाया जा सकता है। आवश्यकता हो तो दुकानदारोंके लिए सफाईके विशेष नियम बनाये जा सकते हैं।

१७. परन्तु यदि ऊपर निर्दिष्ट प्रकारको सहायता प्राप्त न की जा सके तो मेरा नम्र निवेदन यह है कि भारतीय दूकानदारोंके व्यापार करनेके लिए, शहरके ही व्यापारिक भागमें कोई स्थान पृथक् नियत कर दिया जाये, और वहाँ किराये आदिके जो नियम आवश्यक समझे जायें वे लागू कर दिये जायें। इससे शायद बहुत-से व्यापारी अपनी आजीविका कमा सकेंगे। परन्तु कुछ-एक बड़े भारतीय व्यापारियोंको तो इससे भी कोई सहायता नहीं मिलेगी।

१.ये उपलब्ध नहीं हैं।

२. यह उपलब्ध नहीं है।


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