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पत्र: ब्रिटिश एजेंटको

२७. अन्तमें आशा है कि बस्तियोंकी या आम बसावटकी कोई भी योजना, स्वीकृत करनेसे पहले, जिम्मेवार भारतीयोंको बतला दी जायेगी, जिससे कि, वे आवश्यक हो तो, अपने सुझाव दे सकें।

२८. अब, जब कि भारतीयोंको आम तौरसे बस्तियोंमें हटाये जानेकी सम्भावना है ही, तब क्या हमारा यह आशा करना बहुत ज्यादा होगा कि उनका सरकारी नाम 'कुली' बस्ती बदलकर 'भारतीय बस्ती' कर दिया जाये?

२९. मैं यहाँ यह बतला दूं कि मुझे शनिवार के प्रातःकाल निजी हैसियतसे किसीके प्रतिनिधिको हैसियतसे नहीं राज्य-सचिव महोदयसे भेंट करनेका सम्मान प्राप्त हुआ था। मैंने उन्हें यह बतलाकर कि जिस प्रकार भारतीय लोग अपनी शिकायतें पहले अपनी ही सरकारसे करते रहे हैं उसी प्रकार उन्हें भविष्य में भी करना पड़ेगा, उनसे नम्रतापूर्वक प्रार्थना की थी कि भारतीयोंके साथ उदार व्यवहार किया जाये क्योंकि उनका पिछला जीवन उच्च रहा है, वे जहाँ कहीं भी गये कानूनका अधिकसे अधिक पालन करते रहे, और इस देशके नागरिकोंको किसी प्रकारकी हानि पहुँचानेके बदले वे उनके नाना प्रकारके धन्धोंमें उनकी नम्रतापूर्वक किन्तु उपयोगी सेवा कर रहे हैं। राज्य-सचिवने मेरे साथ शिष्टतम व्यवहार करने और मेरी बात बहुत समय लगाकर धैर्यपूर्वक सुननेकी कृपा की थी।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

मुल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ३२४५) से।






१. जुलाई २४, १८९९ के स्टैंहर्ड ऐंड डिगर्स न्यूज में छपे एक विवरणके अनुसार यह भेंट उससे पहलेके शनिवार, जुलाई १५, १८९९ को हुई थी।


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