पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/१३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१००
सम्पूर्ण गांधी वाङमय

करेंगी कि वे 'जमे हुए कारोबारों' को छेड़ती हुई न जान पड़ें। सम्भव है कि हमने अपने प्रार्थना- पत्रमें टाइम्स ऑफ नेटाल द्वारा दिये हुए जिस इशारेका जिक्र किया था वे उसीपर अमल करने लगे और 'धीरे-धीरे उन्मूलन' की कार्रवाई इस प्रकार करें कि उसके कारण कोई हलचल न मचे। इतना तो निश्चित है कि सरकारके पत्रसे कुछ राहत मिली भी तो वह केवल अस्थायी होगी, और अन्तमें वह रोगकी निवृत्ति करनेके स्थानपर उसको बढ़ा ही देगी। आवश्यकता तो इस बातकी है, और हमारी नम्र सम्मतिमें कमसे-कम इतना तो किया ही जाना चाहिए, कि अधि- नियममें सरकार द्वारा सुझाया हुआ परिवर्तन कर दिया जाये । अर्थात्, नगरपालिकाओंके निर्णयोंके विरुद्ध उच्चतम न्यायालयमें अपील करनेका अधिकार दे दिया जाये। क्योंकि, सच तो यह है कि, यह अधिनियम ही बुरा और अ-ब्रिटिश है। इसके द्वारा दिये गये अधिकार मनमाने और ब्रिटिश-शासित प्रदेशोंके नागरिकोंके प्राथमिक अधिकारोंमें भारी दखल देनेवाले हैं। जहाँतक हम जानते हैं, नगरपालिकाओंने ये अधिकार कभी नहीं माँगे थे। हाँ, उन्होंने यथामति कार्य करनेके अधिकार जरूर माँगे थे। परन्तु यह अधिनियम बहुत आगे बढ़ गया है। इसने तो उन्हें ही उनका उच्चतम न्यायालय बना दिया है।

हमने इस विषयमें आपसे फरियाद करनेका साहस इस खयालसे किया है कि आपको बतला दें कि विक्रेता-परवाना अधिनियमके सम्बन्धमें क्या-कुछ हो रहा है और हमारे ऊपर- निर्दिष्ट प्रार्थनापत्रमें जो भय प्रकट किये गये थे वे कितने सत्य सिद्ध हो चुके हैं। हमारी ओरसे नेटाल-सरकारको निम्न पत्र लिखे गये हैं और ये स्वयं स्पष्ट हैं :

आपके गत मासकी १३ तारीखके पत्रके सम्बन्धमें फिर निवेदन है कि साम्राज्य-सरकार और स्थानीय सरकारमें जो पत्र-व्यवहार चल रहा है उसे देखते हुए यह बतला देना अनुचित न होगा कि “विक्रेता-परवाना सम्बन्धी प्रार्थनापन" में जो भय प्रकट किया गया था वह कितना सत्य निकला है। मैं सब स्थानोंसे ठीक-ठीक जानकारी एकत्र नहीं कर पाया हूँ, परन्तु जो जानकारी मुझे अबतक मिली है वह अत्यन्त निराशाजनक है। डंडीमें पहले तो परवाने देनेसे इनकार कर दिया गया था, परन्तु अपील करनेपर वे एक शर्त मढ़कर दिये गये। शर्त परवानोंकी पीठपर लिख दी गई, जो यह है: यह परवाना साफ- साफ इस शर्तपर दिया जा रहा है कि इसे इसी इमारतके लिए फिरसे नया नहीं किया जायेगा। निकायको आज्ञासे (ह.) फ्रॉज० जे० बर्केट, परवाना-अधिकारी और नगरका क्लार्क ।" पूछनेपर कई परवानेवालोंने जवाब दिया कि हमारा खयाल तो यह है कि हमारे परवानोंपर यह शर्त इस कारण लगाई गई है कि हमारी दूकानें लकड़ीके तख्तों और लोहेकी चादरोंकी इमारतोंमें थीं। मालूम हुआ है कि डंडीमें हैंडले ऐंड सन्स और हार्वे ग्रीनेकर ऐंड कम्पनीको दूकानोंका सामना तो इंटोंका है, शेष सारे भाग तख्तों और टीनके ही बने हुए हैं। वहाँके व्यापारी टेलर ऐंड फाउलरकी दूकान सारीको सारी ही तख्तों और टीनकी बनी हुई है। न्यूकैसिलमें जिनको परवाना देनेसे पिछले वर्ष इनकार कर दिया गया था उन्हें इस वर्ष भी इनकार कर दिया गया है। नगर- परिषदने वो अर्जदारोंको अपनी दूकानोंका माल बेचनेके लिए समय देनेकी कृपा की है, परन्तु इससे इन दोनों व्यापारियोंको जो नुकसान हुआ उसकी पूर्ति थोड़े ही हो सकती है। इनमें से एक अब्दुल रसूलका कारोबार बड़ा था और वह तख्तों तथा टीनकी एक दूकानका मालिक था। परिषदको बता दिया गया था कि जिस दूकानका मूल्य इस समय उसके लिए १५० पौंड है, वह यदि बेचनी पड़ी तो उसका प्रायः कुछ भी मूल्य नहीं मिलेगा।


24 -- Gandhi Heritage Portal