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नेटाल भारतीय कांग्रेसकी दूसरी कार्यवाही

युवकोंने परस्पर मिलकर । इनमें से किसीकी भी नजर कभी दक्षिण आफ्रिकी क्षितिजके परे नहीं गई थी। श्री सी० स्टीफनने अपनी चाँदीकी घड़ी तथा जो कुछ उनकी जेबमें था सब निकालकर दे दिया। बैठकमें मौजूद अन्य लोगोंने भी उनका अनुसरण किया। इस प्रकार नाज़र-कोश समिति दूसरे दिन श्री नाजरको तार द्वारा ७५ पौंड भेजनेमें समर्थ हुई।

गत वर्षके प्रायः अन्तमें डर्बन नगर-परिषदने रिक्शा-सम्बन्धी कुछ विनियम पास किये। उनमें से एकके अनुसार भारतीय न तो रिक्शा रख सकते थे और न उनके लिए परवाना प्राप्त कर सकते थे। इसपर तुरन्त ही एक विरोध-पत्र तैयार किया गया। उसपर प्रमुख भारतीयोंके हस्ताक्षर करवाकर उसे गवर्नरको भेज दिया गया। उसकी एक प्रति नगर-परिषदको भी भेज दी गई। इसपर उसने तुरन्त ही प्रतिबन्ध हटानेका निर्णय किया। प्रवासी प्रतिबन्धक- अधिनियमके अमलमें आते ही डंडीमें सामूहिक रूपसे ७५ भारतीय गिरफ्तार कर लिये गये। इसका तथाकथित आधार यह बताया गया कि वे वजित प्रवासी है। अन्तमें वे छोड़ दिये गये। पिछली जनवरीमें उपर्युक्त विक्रेता-परवाना अधिनियमके अन्तर्गत न्यूकैसिल नगर-परिषद द्वारा नियुक्त परवाना-अधिकारीने किसी भी भारतीयको परवाना देनेसे इनकार कर दिया। अपील करनेपर नगर-परिषदने छ: परवाने तो मंजूर कर लिये और तीनको नामंजूर कर दिया। यह मामला सर्वोच्च न्यायालयमें ले जाया गया। वहाँ अपील करनेवालोंके वकील श्री लॉटनने बड़ी योग्यतापूर्वक जिरह की कि यह मामला अपने गुण-दोषके आधारपर भी सर्वोच्च न्यायालयके अधिकार क्षेत्रके परे नहीं है। फिर भी न्यायालयने अपील करनेवालोंके विरुद्ध निर्णय दिया। मुख्य- न्यायाधीशने इस निर्णयसे अपनी असहमति प्रकट की। अब कांग्रेसने इस मामलेको अपने हाथमें ले लिया है और सम्राज्ञीकी न्याय-परिषद (प्रीवी कौंसिल) में अपील दायर की है। प्रमुख वकील श्री एस्क्विथको इस मामलेकी पैरवीके लिए नियुक्त किया गया है। इसका परिणाम नवम्बरमें निकलनेकी सम्भावना है। यह प्रश्न भी उठाया गया कि जो विक्रेता बिना दूकानके बिक्री करते हैं उन्हें फुटकर व्यापारका परवाना लेनेकी जरूरत है या नहीं। यह मामला मूसा नामके एक सब्जी बेचनेवालेकी ओरसे सर्वोच्च न्यायालयमें ले जाया गया और न्यायालयने निर्णय दिया कि ऐसे विक्रेताओंके लिए परवाना लेनेकी जरूरत नहीं। यह मामला सब्जी बेचनेवालोंने कांग्रेसके सामने पेश किया था और उसे हाथमें ले लिया गया। एक सदस्यने वास्तविक खर्च देनेका वादा किया। मामला तो कांग्रेसने जीत लिया, लेकिन उक्त सदस्यने उसका खर्च अभी तक नहीं दिया। यह खर्च कांग्रेसके ही माथे पड़ेगा।

उपनिवेशकी नागरिक सेवा (सिविल सर्विस) परीक्षामें उत्तीर्ण होनेके उपलक्ष्यमें श्री गॉडफेको मार्च में एक शानदार अभिनन्दनपत्र दिया गया। वे पहले भारतीय थे जो इस परीक्षामें उत्तीर्ण हुए। इसके लिए विशेष चन्दा एकत्र किया गया और एक विशेष समितिकी स्थापना की गई थी। इस सम्बन्धमें यह उल्लेखनीय है कि बड़े गॉडफ्रे साहबने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसका अनुसरण कर अन्य माता-पिता भी पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। खुद विशेष शिक्षित न होनेपर भी उन्होंने अपने बच्चोंका उपयुक्त प्रकारसे पालन-पोषण कर उन्हें उत्तम शिक्षा देना अपना एकमात्र लक्ष्य बना लिया था। उन्होंने अपने सबसे बड़े लड़केको कलकत्ता भेजा और वहाँ उसे विश्वविद्यालयका शिक्षण दिलाया। अब वह ग्लासगो गया है और वहाँ चिकित्साशास्त्रका अध्ययन कर रहा है।

१. यह उपलब्ध नहीं है।

२. सम्राशीफी न्याय-परिषदका निर्णय प्रतिकूल था । देखिए पृष्ठ ६५ ।

३. " अभिनन्दनपत्र : जार्ज विन्सेंट गॉडफ्रेको", मार्च १८, १८९० से पूर्व

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