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५४. कांग्रेसका प्रस्ताव : शरणाथियोंके सम्बन्धमें'
डर्बन
 
अक्टूबर १६, २८९९
 

निश्चय किया गया कि : ट्रान्सवालसे निकले हुए जो ब्रिटिश भारतीय शरणार्थी इस समय डेलागोआ-बेमें है उन्हें नेटाल आने और इस संकट-कालमें यहाँ रहनेकी सुविधा देनेकी कृपाके लिए, नेटाल भारतीय कांग्रेस सरकारको हार्दिक धन्यवाद देती है।

यह भी कि : अध्यक्षसे निवेदन किया जाये कि वे इस प्रस्तावकी एक प्रति सूचनार्थ नेटाल- सरकारको भेज दें।

(ह०) अब्दुल कादिर
 

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, साउथ आफ्रिका, जनरल १८९९ ।

५५. भारतीयोंका सहायता-प्रस्ताव
[डर्बन]
 
अक्टूबर १९, १८९९
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

मैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

डर्बनके अंग्रेजी बोल सकनेवाले लगभग १०० भारतीयोंने कुछ ही घंटेकी सूचना मिलने पर १७ तारीखको एकत्र होकर यह विचार किया था कि इस समय साम्राज्य-सरकार और दक्षिण- आफ्रिकाके दो गणराज्योंमें जो लड़ाई छिड़ी हुई है उसमें हमें सरकार या साम्राज्य-अधिकारियोंको अपनी सेवाएँ बिना किसी शर्त अथवा किन्तु-परन्तुके भेंट करनी चाहिए या नहीं।

फलतः, मुझे इस पत्रके साथ उन लोगोंमें से कुछके नामोंकी एक तालिका भेजनेका मान प्राप्त हुआ है, जो बिना किसी शर्तके अपनी सेवाएँ देनेको उद्यत है। डॉ० प्रिंसने इन सबकी बारीकीसे जांच कर ली है।

शेष स्वयंसेवकोंकी जाँच वे कल करेंगे और उनमें से १० के परीक्षामें सफल हो जानेकी आशा है। परन्तु क्योंकि समयका मूल्य बहुत है, इसलिए अधूरी तालिका ही भेज देना उचित समझा गया।

ये प्रार्थी अपनी सेवाएं बिना किसी वेतनके प्रदान कर रहे हैं। यह अधिकारियोंके इच्छाधीन है कि वे जैसा उचित या आवश्यक समझें, इनमें से कुछकी या सबकी सेवा स्वीकार कर लें।

१. इसे नेटालके गवर्नरने लंदन भेज दिया था।

२.देखिए अगला पृष्ठ ।

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