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७९: ब्रिटिश सेनापतियोंका अभिनन्दन
[मार्च २६, १९०० से पूर्व
 

सेवामें

सम्पादक

नेटाल विटनेस

प्रिय महोदय,

मैं इसके साथ जनरल लॉर्ड रॉबर्ट्स, जनरल सर रेडवर्स बुलर और जनरल सर जॉर्ज व्हाइटके पाससे तार द्वारा प्राप्त सन्देशोंकी नकलें प्रकाशनार्थ भेज रहा हूँ। ये सन्देश गत १४ तारीखको डर्बनमें हुई भारतीयोंकी सभाके अध्यक्षको हैसियतसे माननीय सर जॉन रॉबिन्सन, के० सी० एम० जी० को प्राप्त हुए हैं। ये अभिनन्दनके उन प्रस्तावोंके उत्तरमें हैं जो सभामें पास हुए थे और सभाके आदेशसे अध्यक्षने नामांकित सेनापतियोंको भेजे थे। उपर्युक्त प्रस्तावोंकी नकलें भी साथ भेज रहा हूँ।

आपका,
 
मो० क० गांधी
 
अवैतनिक मन्त्री, ने० भा० कां०
 

[प्रस्तावादि संलग्न ]

प्रस्ताव १: सम्राज्ञीके भारतीय प्रजाजनोंकी यह सभा दक्षिण आफ्रिकी फौजोंके प्रधान सेनापति, परम माननीय फील्ड मार्शल फ्रेडरिक स्ले, कन्दहारके लॉर्ड रॉबर्ट्स, वी० सी०, के० पी०, जी० सी० बी०, जी० सी० एस० आई०, जी० सी० आई० ई० का आदरपूर्वक अभिनन्दन करती है। उन्होंने किम्बरलेको मुक्त कराया, एक घमासान युद्ध के बाद जनरल कोंज तथा उनकी टुकड़ीको गिरफ्तार किया और इस प्रकार विजयश्रीका मुख ब्रिटिश फौजोंकी ओर फेर दिया। इस सभाको यह अंकित करते हुए भी हर्ष होता है कि दक्षिण आफ्रिकी सेनाओंको विजयके बाद विजयकी ओर ले जानेवाले वहीं कन्दहारके विजेता है, जो एक समय भारतीय सेनाओंके सेनापति थे।

प्रस्ताव २: सम्राज्ञीके भारतीय प्रजाजनोंकी यह सभा परम माननीय जनरल सर रेडवर्स हेनरी बुलर, वी० सी०, जी० आई० बी० का कृतज्ञतापूर्वक अभिनन्दन करती है। उन्होंने प्राकृ- तिक दृष्टिसे दुर्भेद्य मोचॉपर डटे हुए शत्रुपर, अजेय कठिनाइयोंके बावजूद, ज्वलन्त विजय प्राप्त की है और अस्थायी पराजयोंसे घबराये बिना लेडीस्मिथमें फंसी हुई सेनाको मुक्त कराया है। इस प्रकार उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यकी शक्ति और ब्रिटिश सैनिकोंके पराक्रमका मान रखा है।

प्रस्ताव ३: सम्राज्ञीके भारतीय प्रजाजनोंकी यह सभा सर्वशक्तिमान परमात्माको प्रार्थनामय धन्यवाद देती है कि उसने जनरल सर जॉर्ज स्टुवर्ड व्हाइट, वी० सी०, जी० सी० बी०, जी० सी० एस० आई०, जी० सी० आई० ई० और उनकी बहादुर टुकड़ीको साम्राज्यको फिरसे बख्शा। उस टुकड़ीमें इस भूमिके अनेक सपूत -नेटाल तथा दक्षिण आफ्रिकी अन्य प्रदेशोंके स्वयंसेवक

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