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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

- भी शामिल थे। इन सबने लगभग चार महीनोंतक साहस और धैर्य के साथ घेरेकी कड़ी कसौटीको बर्दाश्त किया और शत्रुके आक्रमणोंको बार-बार पीछे हटाया। यह सभा वीर सेनापतिको अपनी आदरपूर्ण बधाई भी देती है कि उन्होंने असाधारण कठिनाइयोंसे भरी हुई परिस्थितियोंमें ब्रिटिश सम्मान और प्रतिष्ठाको कायम रखा। यह सभा गौरवके साथ अंकित करती है कि भारतके भूतपूर्व प्रधान सेनापति ही उपनिवेशको शत्रुके हाथ में जानेसे बचाने के कारण हुए।

मार्च १७, १९००
 

प्रेषक

लाड रॉबर्टस

ब्लूमफांटीन

सेवामें

सर जान रॉबिन्सन

डर्बन

नेटालके भारतीय समाजकी सभामें स्वीकृत प्रस्तावका जो तार आपने कृपापूर्वफ भेजा, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। उसमें व्यक्त की गई बधाई और शुभकामनाओंके लिए मैं हृदयसे कृतज्ञ हूँ।

मार्च १६, १९००
 

प्रेषक

जनरल बुलर

लेडीस्मिथ

सेवामें

सर जॉन रॉबिन्सन

डर्बन

आपने भारतीय समाजका जो अभिनन्दन कृपापूर्वक भेजा उससे मुझे बहुत आनन्द हुआ है ।

मार्च १६, १९००
 

प्रेषक

सर जॉर्ज व्हाइट

ईस्ट लंदन

सेवामें

सर जॉन रॉबिन्सन

डबन

नेटालके भारतीय समाजकी सभाने जो अत्यन्त कृपापूर्ण प्रस्ताव पास किया है उसके लिए आप और भारतीय समाज मेरा हार्दिकतम धन्यवाद स्वीकार करें । भारतके साथ मेरा सम्बन्ध बहुत लम्बे समय तक रहा है और मेरे जीवनके सबसे अच्छे दिन वहीं व्यतीत हुए हैं। मेरे भारतीय बन्धु-प्रजाजनोंकी शुभकामनाएँ मेरे लिए बहुत सुखद हैं।

[अंग्रेजीसे]

नेटाल विटनेस, २६-३-१९००

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