प्रिय......
मैं इस पत्रके साथ भारतीय अस्पतालकी मासिक कार्यवाहीकी एक प्रति भेज रहा हूँ। आपको ज्ञात ही है कि इस अस्पतालको स्थापित हुए लगभग १८ महीने हो चुके हैं।' इसकी सचमुच कितनी आवश्यकता है, यह इस कार्यवाहीसे प्रकट हो जायेगा। भारतीय समाजके सभी वर्गोंको इस अस्पतालसे लाभ पहुंचा है। गरीबोंके लिए तो यह एक वरदान ही है।
यदि डर्बनके भारतीय इसके लिए चन्दा न देते और डॉ० बूथ और डॉ० लिलियन रॉबिन्सन इसमें रोगियोंकी सेवा न करते तो इसे शुरू ही नहीं किया जा सकता था। यहाँके भारतीय इसके लिए ८४ पौंडका चन्दा दे चुके हैं। डॉ० रॉबिन्सन बीमार है, इस कारण उनके स्थानपर अब डॉ० क्लारा विलियम्स काम कर रही हैं।
अबतक चन्दा देनेका प्रायः सारा बोझ डर्बनवालोंपर ही पड़ता रहा है। इसलिए अब उपनिवेशके अन्य भागोंके भारतीयोंको भी गरीबोंकी सर्वोत्तम सम्भव तरीकेसे सेवा करने, अर्थात् , उनका शारीरिक कष्ट मिटानेके सौभाग्यका उपभोग करनेके लिए निमन्त्रित करना अनुचित नहीं होगा।
चिकित्सालयको दो वर्षतक चलाने और पिछला किराया चुकानेके लिए कमसे-कम ८० पौंडकी आवश्यकता है। परन्तु यदि इसे आगे भी चलाना हो तो इससे बहुत अधिक धन-राशिकी आवश्यकता पड़ेगी। अबतक इससे एक बहुत बड़ी आवश्यकताकी पूर्ति होती रही है, इसलिए मेरा तो खयाल है कि इसे आगे भी चलाना ही चाहिए।
मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपना हिस्सा तो देंगे ही, औरोंको भी वैसा करनेके लिए प्रेरित करेंगे।
समस्त चन्देकी प्राप्ति स्वीकार की जायेगी और आय-व्ययका हिसाब दिया जायेगा।
हस्तलिखित दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० ३७२५) से।
१. एक परिपत्र ।
२. यह अस्पताल सितम्बर १४, १८९८ को खोला गया था।
Gandhi Heritage Portal