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८६. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
जून १२,१९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्

मुझे आपके ९ तारीखके पत्रकी प्राप्ति स्वीकार करनेका मान प्राप्त है। उसमें यह सूचना दी गई है कि परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयने अमद अब्दुल्लाको दी गई ३ वर्ष कैदकी सजामें से १८ महीनेकी सजा माफ कर दी है।

मैंने यह सूचना अमद अब्दुल्लाकी बीबीको दे दी है। यद्यपि उसने आशा तो यह की थी कि इतने आनन्द-उत्साहके बीच उसका पति उसको तुरन्त वापस कर दिया जायेगा, फिर भी परमश्रेष्ठने उसके पतिपर और उसपर जो दया की है उसके लिए वह अत्यन्त कृतज्ञ है।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे]

पीटरमरित्सबर्ग आर्काइब्ज़, सी० एस० ओ०, ८६४६/१९०१।

८७. परिपत्र : धन्यवादके प्रस्तावके लिए
डर्बन
 
जुलाई १३, १९००
 

ईस्ट इंडिया असोसिएशनकी वार्षिक रिपोर्टमें हमारे बारेमें बहुत अच्छा लिखा गया है। असोसिएशनने अपना यह इरादा भी जाहिर किया है कि वह, जितना हो सकेगा, हमारे हकोंकी रक्षा करनेका प्रयत्न करेगा। इसके लिए उसके प्रति एक धन्यवादका प्रस्ताव' इसके साथ है। इस प्रस्तावको भेजनेकी सम्मति देनेवाले सज्जन नीचे अपनी सही कर दें।

गांधीजीके हस्ताक्षरोंमें मूल गुजराती पत्रकी फोटो-नकल (एस० एन० ३४६७) से।

१. देखिए “ पत्र: उपनिवेश-सचिवको," मार्च १७, १९०० ।

२. मूल पत्रमें गुजरातीके नीचे इसी आशयका परन्तु इससे छोटा अंग्रेजी पत्र भी है ।

३. स्वीकृत प्रस्ताव उपलब्ध नहीं है।

४. परिपत्र प्रस्तावके पक्षमें अनेक सहिया है।

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