पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/२०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९८. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मक्युरी लेन
 
डर्बन
 
अगस्त ३०, १९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

डोसा देसा नामक व्यक्तिके अधिवास-प्रमाणपत्रकी अर्जीके बारेमें आपका इसी माहकी २९ तारीखका कृपापत्र मिला।

मैं देखता हूँ कि सरकार एक नियमके अस्तित्वको मान बैठी है; और उसे लगता है कि उसका उल्लंघन करके कार्रवाई करनेके लिए काफी कारण नहीं बताये गये है। सच बात यह है कि जिस नियमकी शिकायत की गई है, वह जमी-जमाई प्रथामें एक नवीनीकरण है। उसे जारी करनेके कोई कारण उस समाजको नहीं बताये गये, जिसका उससे निकटतम सम्बन्ध है। उसके प्रणेताको तो यह समाज अबतक जानता ही नहीं।

तब, क्या मैं जान सकता हूँ कि हालतक ही जो प्रथा प्रचलित थी उसके अन्तर्गत प्रवासी- अधिनियमकी किस प्रकार अवहेलना की गई है।

मैं मानता हूँ कि यह नवीनीकरण जो असुविधा उत्पन्न कर रहा है उसके परिमाणको सरकार नहीं समझती।

अगर इसका असर सिर्फ उन लोगोंपर होता जो भविष्यमें उपनिवेशसे जानेवाले हों, तो इससे कोई कठिनाई पैदा न होती। परन्तु भारत गये हुए उन सैकड़ों भारतीयोंका, जो जाते समय इसके बारे में कुछ जानते ही नहीं थे, और जिन्हें ऐसे प्रमाणपत्रोंकी जरूरत है, उपनिवेशमें आना बहुत कठिन होगा, हालाँकि यहाँ आनेका उनका अधिकार है।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइब्ज, सी० एस० ओ०, ६०६३/१९००।

Gandhi Heritage Portal