सेवामें
माननीय उपनिवेश-सचिव
पीटरमैरित्सबर्ग
श्रीमन्,
मुझे डोसा देसा सम्बन्धी पत्र-व्यवहारके सिलसिलेमें आपको सूचित करना है कि हलफनामा- लेखकने अपनी विश्वसनीयताका प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया, और उसे इस अर्जीके समर्थनमें पेश करनेपर प्रवासी-प्रतिबन्धक अधिकारीने अब प्रमाणपत्र दे दिया है।
तथापि, मेरी नम्र रायमें, इस अर्जीके निबटारेसे मेरे पिछली ३० तारीखके पत्रमें उल्लिखित नवीनीकरण-सम्बन्धी सामान्य प्रश्नका निबटारा नहीं होता।
[ अंग्रेजीसे ]
पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइव्ज, सी० एस० ओ०६०६३/१९०० ।
दक्षिण आफ्रिका-सम्बन्धी प्रश्नोंका निर्णय निकट भविष्यमें हो जानेकी सम्भावना है, इसलिए एक सुझाव दिया जा रहा है कि दक्षिण आफ्रिकामें बसे हुए भारतीयोंके जो मित्र इंग्लैण्डमें रहते हैं उनको दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंकी शिकायतोंके विषयमें नवीनतम तथ्योंसे परिचित करा दिया जाये, जिससे वे मामलेको विचारके लिए सम्बद्ध अधिकारियोंके सामने उपस्थित कर सकें। एक सुझाव यह भी है कि उपनिवेश-मन्त्रीकी सेवामें एक प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करके, उसका समर्थन सार्वजनिक सभाओं द्वारा कर दिया जाये जिससे कि इंग्लैण्डके कार्य- कर्ताओंका बल बढ़े। इस दूसरे सुझावको, भले प्रकार विचारके पश्चात्, छोड़ देनेका निश्चय
१. यह “ एक नेटाल संवाददाता" से प्राप्त रूपमें १२-१०-१९०० के इंडिया में प्रकाशित हुआ था।
२. यह तारीख “ टिप्पणियों में किये गये प्रवासी-प्रतिबन्धफ अधिनियम (देखिए पृष्ठ १७३-१७४) सम्बन्धी उल्लेखके आधारपर निश्चित की गई है। उपनिवेश-सचिवको लिखे गये जुलाई ३१, अगस्त १८ तथा ३० एवं सितम्बर ३, १९०० के पत्रों में इस अधिनियमके अन्तर्गत एफ विशिष्ट मामलेपर विचार किया गया है।