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१०१. पत्र: टाउन क्लार्कको
१४, मयुरी लेन
 

{{|||डर्बन, नेटाल}}

सितम्बर २४, १९००
 

सेवामें

श्री विलियम कूली

टाउन क्लार्क डर्बन

महोदय,

जैसे ही यह प्रकट हुआ था कि नगर-परिषद एक ऐसा उपनियम जारी करना चाहती है, जिससे कि “सिर्फ यूरोपीयोंके लिए" लिखी हुई तख्तीवाले रिक्शोंमें रंगदार लोगोंको बैठाना रिक्शा चलानेवालोंके लिए अपराध ठहरा दिया जाये, वैसे ही अनेक भारतीयोंने मुझसे एक विरोध-पत्र लिखनेको कहा था। परन्तु उस समय मुझे लगा था कि ऐसा करना उचित नहीं होगा। मैंने सोचा था कि जबतक भारतीयोंके लिए भी वैसी ही सवारियाँ उपलब्ध है तबतक, अगर यूरोपीय उनके साथ स्थान बँटानेमें आपत्ति करते हैं तो, भारतीयोंका उनके द्वारा काममें लाये जानेवाले रिक्शोंमें बैठनेके अधिकारका आग्रह करना, भारतीय समाजके स्वाभिमानके विपरीत है। परन्तु अब मैं महसूस करने लगा हूँ कि मैंने वह सलाह देने में एक गम्भीर गलती की।

गराउपनियमके व्यावहारिक प्रयोगसे सभी वर्गोंके भारतीयोंमें चिढ़ पैदा हुई है, और हो रही है। उसे परिषदकी नजरमें न लाना मेरी हिमाकत होगी।

में निस्संकोच स्वीकार करता है कि समस्याका हल आसान नहीं है। फिर भी शायद वह बिलकुल ही हलके परे नहीं है। इस पत्रमें मैं कानुनी प्रश्न उठाना नहीं चाहता, हालांकि मेरी नम्र मान्यता यह है कि उक्त उपनियम गैर-कानूनी है। मैं, अगर सम्भव हो तो, परिषदकी सद्भावनाको प्रेरित करके आंशिक राहत प्राप्त करना चाहता हूँ।

मुझे भरोसा है कि आपत्ति सवारीके रंगपर उतनी नहीं की जाती, जितनी कि उसके गंदे कपड़ों या रूपपर। अगर यह सही है तो क्या रिक्शा चलानेवालोंको यह निर्देश दे देना सम्भव न होगा कि वे ऐसी सवारियोंको न लें? मुझे बताया गया है कि रिक्शा चलानेवाले ऐसे निर्देशोंको समझने और उनका पालन करने के लिए काफी चतुर हैं। यह सुझाव स्पष्टत: कठिन है, और दिक्कतों व अन्यायसे मुक्त तो होगा ही नहीं, परन्तु इससे अभीकी तीव्र कटता कम हो जानेकी सम्भावना है।

उपनियम बहुत कठोरतासे काममें लाया जा रहा है। ऐसी हालतमें वह अपने ही उद्देश्यको विफल कर सकता है। और, मेरी नम्र रायसे, उसको संघर्षके बिना तभी कार्यान्वित किया जा सकता है, जब कि उसके प्रयोगमें विवेकका खासा अच्छा पुट हो। मेरा निवेदन है, यह कोई छोटी बात नहीं है कि जो सैकड़ों रंगदार लोग अबतक रिवशोंको स्वतंत्रतापूर्वक एक प्रकारके वाहनके रूपमें काममें लाते रहे हैं, वे अब एकाएक अपने-आपको उनके उपयोगसे वंचित पाते हैं; क्योंकि, मुझे मालूम हुआ है, ऐसे रिक्शे बहुत ही कम है, जिनमें उपर्युक्त तख्ती न लगी हो।

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