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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

सभामें उसे भेंट किया गया था)। अकाल-निधिका चन्दा ४,५०० पौंडसे ज्यादा है। उसका करीब आधा हमारे समाजने दिया है।

ट्रान्सवाल और ऑरेंज रिवर उपनिवेशके द्वार भारतीयोंके लिए बिलकुल खुले होने चाहिए। परन्तु हम सब इस मामले में घबराये हुए है कि क्या होगा, क्या नहीं।

यह बतानेके लिए कि दक्षिण आफ्रिकाके लोग किस हदतक बढ़ने को तैयार होंगे, एक साल पहले उमतली, रोडेशिया, में जो कुछ हुआ या....।

[अपूर्ण]

[अंग्रेजीसे]

साबरमती संग्रहालय, एस० एन० ३७४३ ।

१०३. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मक्युरी लेन
 
डबन
 
अक्टूबर २६, १९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

मैं आदरपूर्वक पूछना चाहता हूँ कि भारतीयोंको साम्राज्ञी-सरकारको जमीन बेचनेपर कोई प्रतिबन्ध है या नहीं।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 

[अंग्रेजीसे]

मो० क० गांधी
 

पोटरमैरित्सबर्ग आर्काइव्ज, सी० एस० ओ०, ८६५८/१९०० ।

डर्बन सराय लसी० एस

१०४. पत्र: उपनिवेश-सचिवको-
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
नवम्बर ८,१९००
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

श्रीमन्,

मेरे पिछले महीने की २६ तारीखके पत्रके उत्तरमें आपका ७ तारीखका कृपापत्र प्राप्त हुआ। मैंने आपसे पूछा था कि भारतीयोंको सम्राज्ञी-सरकारकी जमीन बेचनेपर कोई प्रतिबन्ध है या नहीं, और आपने जो पूरा-पूरा उत्तर देनेकी कृपा की है तथा साथमें जो कागजात भेजे है उनके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ।

१. देखिए “रोडेशियाके भारतीय व्यापारी," मार्च ११, १८९९ ।

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