पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/२२२

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१८४ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय इन आधारोंपर हमारी प्रार्थना है कि उक्त नियमको रद कर दिया जाये या उसमें ऐसा संशोधन कर दिया जाये जिससे कि जिन असुविधाओंकी शिकायत की गई है, वे उससे न हों। और न्याय तथा दयाके इस कार्य के लिए आपके प्रार्थी सदैव दुआ करेंगे, आदि आदि । एम० सी० कमरुद्दीन ऐंड कम्पनी [अंग्रेजीसे] और पच्चीस अन्य डर्बन टाउन कौन्सिल रेकर्ड्स, १९०१ । १०९. पत्र: प्रवासी-संरक्षकको डर्बन, नेटाल जनवरी १६, १९०१ प्रवासी-संरक्षक डर्बन महोदय, चेल्लागाडु और विल्किन्सन' यह मामला पुनर्विचारके लिए सर्वोच्च न्यायालयके सामने प्रस्तुत हुआ था। न्यायालयने निर्णय किया कि किसी मजिस्ट्रेटके निर्णयके विरुद्ध अपील करनेपर दौरा अदालत (सर्किट कोर्ट) के न्यायाधीशने जो निर्णय किया हो उसपर पुनर्विचार करनेका इस (सर्वोच्च) न्यायालयको अधिकार नहीं है। इससे तबादलेके सम्बन्धमें कानूनकी व्याख्याका प्रश्न वहीं अटक गया है, जहाँ न्यायाधीश व्यूमॉटने उसे छोड़ा था। इस मामलेको लेकर जब मैं आपकी सेवामें उपस्थित हुआ था तब आपने यह वचन देनेकी कृपा की थी कि यदि सर्वोच्च न्यायालयने यह निर्णय किया कि उसे इसपर विचार करनेका अधिकार नहीं है तो आप गवर्नरसे सजाको माफ कर देनेकी सिफारिश करेंगे। यह एक ऐसा तथ्य है, जो स्वयं प्रकट करता है कि न्यायाधीश व्यूमोंटका निर्णय ठीक नहीं है। इसलिए, अब मैं इस मामलेको आपपर ही छोड़कर, इसके कागज-पत्र इसके साथ नत्थी कर रहा हूँ। आपका, आदि, [अंग्रेजीसे] मो० क० गांधी नेटालके गवर्नर द्वारा, १९ फरवरी, १९०१ को सम्राटके मुख्य उपनिवेश-मन्त्रीके नाम भेजे गये खरीता नं० ४९ का सहपत्र । कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स , साउथ आफ्रिका, जनरल, १९०१ । १. चेल्लागाडु नामके एक गिरमिटिया भारतीयको विल्किन्सन नामक व्यक्तिकी चीनीकी जायदादमें काममें लापरवाही करनेके अभियोगमें १ पौंड जुर्माने या, जुर्माना न देनेपर, कैदफी सजा दी गई थी । चूंकि चेल्लागाडुके मालिकने विल्किन्सनके पास उसका तबादला कर दिया था, गांधीजीने यह दलील पेश की कि किसी भी गिरमिटिया भारतीयका तबादला प्रवासी-संरक्षककी अनुमतिसे ही फिया जा सकता है । दौरा अदालत (सर्किट कोर्ट) के न्यायाधीशने उनकी यह दलील अस्वीकार कर दी और सजा बहाल रखी । । Gandhi Heritage Portal