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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शब्दोंकी कमी है, तथापि हम अति संक्षेपमें आपके प्रति अपनी कृतज्ञताके गहरे भावको व्यक्त करना चाहते हैं । आठ सालसे अधिक हुए, जब इस उपनिवेशमें आपका आगमन हुआ था तबसे आपने अथक रूपसे और प्रसन्नतापूर्वक बहुमूल्य सेवाएँ की हैं, और अपने साथी देशवासियों के हितोंकी रक्षा और वृद्धिके लिए आपने परिचय सदैव ही प्रसन्नतापूर्वक अनुकरणीय आत्मत्यागका परिचय दिया है ।

आपका अनोखा चरित कितने ही उज्ज्वल पाठ पढ़ाता है और आपने जो उदात्त उदाहरण उपस्थित किया है उसीके आदर्शपर हम अपने कार्य आगे बढ़ानेकी आशा करते हैं। जो-कुछ भी आपने किया उस सबमें आप उच्च आदर्शोंसे प्रेरित रहे और कर्तव्यके प्रति अपनी स्थिर निष्ठाके कारण आपके तरीके और आपके काम बहुत ही कुशल सिद्ध हुए ।

हम अनुभव करते हैं कि आपका सम्मान करके हम स्वयं अपना सम्मान कर रहे हैं।

हम सच्चे हृदयसे आशा करते हैं कि जिन पारिवारिक कर्तव्योंके कारण आपका भारत जाना आवश्यक हो गया है, उनसे छुट्टी पानेके बाद आप पुनः हमारे सुख-दुःखके साथी बनेंगे, और उस कार्यको जारी रखेंगे जिसको कि आप इतने प्रशंसनीय ढंगसे करते रहे हैं।

अन्तमें हम आपके लिए सुखद समुद्र यात्राकी कामना करते हैं और सर्वशक्तिमानसे प्रार्थना करते हैं कि वह आप और आपके आत्मीयोंको अपनी श्रेष्ठतम कृपासे अनुगृहीत करे ।

डर्बन, १५ अक्टूबर, १९०१

सदैव आपके कृतज्ञ,
अब्दुल कादिर ( और अन्य )

छपी हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ३९१८) से ।

[ संलग्न पत्र २]

[ प्रस्ताव ]

नेटाल भारतीय कांग्रेसकी यह सभा अपने अवैतनिक मंत्री श्री मो० क० गांधीके त्यागपत्रको गहरे दुःखके साथ स्वीकार करती है । उन्होंने लगभग आठ वर्ष पूर्व अपने आगमनके समयसे अथक भावसे, बिना आडम्बरके और प्रसन्नतापूर्वक प्रवासी भारतीयोंकी बहुमूल्य सेवाएँ की हैं। उन्होंने नेटालमें खास तौरसे और दक्षिण-आफ्रिकामें आम तौरसे अपने देशवासियोंके हितोंकी रक्षा और वृद्धिके लिए सदैव प्रसन्नतापूर्वक कष्ट सहे हैं, और त्याग किया है । कर्तव्यके प्रति उनकी अटल निष्ठा प्रशंसनीय है और अकेले उसीसे उनके समस्त कार्योंका दिशा-दर्शन हुआ है। यह सभा अपना परम कर्तव्य समझती है कि इस सबके लिए उनके प्रति अपनी कृतज्ञताके गहरे भावको प्रकट करे ।

अंग्रेजी मसविदेकी फोटो नकल (एस० एन० ३९३० ) से ।