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पत्र : गो० कृ० गोखलेको

बनाया गया है । हालकी इस घोषणाकी नकल इसके साथ संलग्न[१] है। इससे यह मालूम हो जायेगा कि इसके द्वारा जो राहत मिलती है उसका लाभ प्रायः काफिर उठा सकते हैं, यद्यपि उसमें दिये गये "अश्वेत व्यक्ति" शब्दोंमें पहलेकी तरह भारतीयोंका भी समावेश है। पुराने शासनमें परवाना-कानून भारतीयोंके विरुद्ध बहुत कम लागू होता था। ब्रिटिश शासनमें, जहाँ नियमोंका पालन कठोरतासे होता है, स्थिति क्या होगी, उसकी कल्पना आसानीसे की जा सकती है । यदि दी जानेवाली राहत उपर्युक्त किस्मकी है तो स्पष्ट है कि वह राहत होगी ही नहीं । ट्रान्सवाल-सरकारने लंदन-समझौतेकी १४वीं धाराका उल्लंघन कर ऐसे कानून बनाये हैं, जिनमें व्यावहारिक रूपसे भारतीयोंका वर्गीकरण आफ्रिकी वतनी लोगोंके साथ किया है । स्मरण रहे, स्वर्गीय लॉर्ड लॉक और सर हर्क्युलीज़ रॉबिन्सनने इस प्रकारके वर्गीकरणके विरुद्ध आपत्ति प्रकट की थी और उक्त धाराके अन्तर्गत माँग की थी कि भारतीयोंको दूसरी ब्रिटिश प्रजाओंके समान ही अधिकार दिये जायें। ( देखिए दक्षिण आफ्रिकी ब्लू बुक, ग्रीवेन्सेज़ ऑफ ब्रिटिश इंडियन्स --- ब्रिटिश भारतीयोंकी शिकायतें) । इसलिए अगर इन दोनों उपनिवेशोंमें सब भारतीय-विरोधी कानून वापस न भी लिये जायें तो कमसे-कम ब्रिटिश भारतीयों और जूलू लोगोंमें अन्तर तो किया ही जा सकता है। इन स्थितियोंमें सारी उपलब्ध शक्ति फिलहाल इन दो उपनिवेशोंके प्रश्नको हल करनेमें लगानी चाहिए। अगर वहाँ पूरा न्याय हो जायेगा तो नेटाल भी जल्दी ही उन्हींकी पंक्ति में आ जायेगा ।

इन टिप्पणियों को तैयार करनेमें तथ्योंकी अनावश्यक पुनरुक्तिसे बचने के लिए यह बात मान ली गई है कि सहानुभूति रखनेवाले मित्रोंको स्मरणपत्रों आदिको जानकारी पहलेसे ही है।

टाइप की हुई अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ३९४६ ) से ।


१७८. पत्रः गो० कृ० गोखलेको

राजकोट
मार्च २७, १९०२

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

यह जानकर बहुत दु:ख हुआ कि आपको बुखार आ गया है । कहनेकी जरूरत नहीं कि आपके कर्तव्योंमें एक सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है अपने देशकी खातिर अपनी तन्दुरुस्तीको कायम रखना । इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप ज्यादा फिक्र या ज्यादा काम करनेसे बीमार नहीं हुए होंगे। अगर मुझे कुछ कहने की इजाजत दें तो मैं कहूँगा कि अपने घरमें अत्यन्त कड़ाई के साथ नियमितता बरतनेसे न केवल आपको, बल्कि आपके अलावा उनको भी फायदा होगा जिन्हें आपके सम्पर्कमें आनेका विशेष अधिकार प्राप्त हो। सम्भव है मैं गलतीपर होऊँ, किन्तु मैं निश्चित रूपसे महसूस करता हूँ कि इसका पालन बहुत कठिन नहीं है।

मैंने अखबारोंमें पढ़ा है कि वाइसरायकी परिषदमें कारीगरों, बजरिया दवाफरोशों वगरहके प्रवासको नियन्त्रित करनेके लिए एक विधेयक पेश किया जानेवाला है। यह क्या हो सकता है ? क्या यह उपनिवेशियोंको रियायत है या सचमुच इसका उद्देश्य हमारा हित करना है ?

  1. यहाँ यह नहीं दी गई है ।