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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

सुना है, श्री वाडिया राजकोटसे गुजरे थे और रानडे स्मारकके लिए कुछ सौ रुपये इकट्ठा कर ले गये हैं। आशा करता हूँ, आप अपनी अगले कुछ दिनोंकी हलचलोंके बारेमें मुझे लिखेंगे ।

क्या मैं आपको यह कष्ट दे सकता हूँ कि आप श्री भाटेसे कह दें कि आखिरकार कलकत्तासे मेरी चीजें मुझे मिल गई हैं ?

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

[ पुनश्च ] श्री टर्नरने आखिरकार निजी सचिवके पत्रकी एक प्रतिलिपि मुझे भेज दी है । उसकी नकल साथ भेज रहा हूँ ।

मो० क० गां०

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (जी० एन० ३७२१ ) से।


१७९. आवरकपत्र :"टिप्पणियों" के लिए

राजकोट
मार्च ३०, १९०२

सेवामें

सम्पादक
इंडिया

प्रिय महोदय,

आपका २८ फरवरीका पत्र मिला। वह बम्बईसे पता बदलकर पुनः भेजा गया था । आपके अनुरोधके अनुसार दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंकी यथासम्भव अबतककी स्थितिपर टिप्पणियाँ[१] इसके साथ भेजता हूँ। यह मानते हुए कि समय-समयपर आपको भेजे गये सब कागजात आपके पास होंगे ही, मैंने सारा पूर्व इतिहास नहीं दुहराया। मैं इसकी नकल सर मंचरजीको भी भेज रहा हूँ । मेरा खयाल है कि ब्रिटिश समिति इस मामलेमें उनका सहयोग माँगेगी ही ।

आपका सच्चा,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ३९४८) से।

  1. “टिप्पणियाँ : भारतीयों की स्थितिपर,” मार्च २७, १९०२ ।