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पत्र : गो० कृ० गोखलेको

करोड़ों बरबाद होते दीख रहे हैं। मैं १८९६ में यहाँ था। तब मैंने जो कुछ देखा और अब मैं जो कुछ देखता हूँ उसमें बहुत बड़ा अन्तर है । कष्ट अवर्णनीय है; किन्तु इससे जरूरी तौरपर यह सिद्ध नहीं होता कि गरीबीका वही कारण है जो ये लेखक और वक्ता बताते हैं। फिर भी, अकबरकी शासन पद्धतिपर वापस लौटनेसे अकाल और प्लेगसे उत्पन्न मुसीबत कुछ हदतक कम हो सकती है। इस विषयपर मेरे कथनमें सुधारकी गुंजाइश है, क्योंकि मैं इस प्रश्नका जितना पूरा अध्ययन करना चाहता था, उतना अभीतक नहीं कर सका हूँ ।

आशा है, आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा । प्रभुसे प्रार्थना है कि वह आपको बहुत साल जीवित रखे, ताकि दक्षिण आफ्रिका अपनी बहुत-सी समस्याओंके सम्बन्धमें, जो अभीतक हल नहीं हुई हैं, आपके भारी अनुभवका लाभ उठा सके ।

आपको और श्रीमती रॉबिन्सनको अभिवादन ।

आपका सच्चा,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ३९६१) से ।


१८८. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

राजकोट
मई १, १९०२

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

आपके कृपा-पत्रके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। यह तो मैं अच्छी तरह समझ सकता था कि आपके मौनका जरूर कोई अपरिहार्य कारण होगा; किन्तु तीन दिन पहले जब मैं श्री वाडियासे मिला तबतक मैंने यह नहीं सोचा था कि कारण आपकी बीमारी है । आशा है, आप जल्दी ही अपना साधारण स्वास्थ्य प्राप्त कर लेंगे। यह जानकर आपको प्रसन्नता होगी कि मैंने फिलहाल राज्य स्वयंसेवक प्लेग समिति (स्टेट वालंटियर प्लेग कमिटी) के मन्त्रीका बहुत उत्तरदायित्वपूर्ण पद स्वीकार कर लिया है। यह समिति राजकोटमें प्लेग फैलनेकी आशंकासे स्थापित की गई है। इसलिए मैं सोचने लगा था कि यदि मुझे आपके पाससे रानडे स्मारकके लिए धन-संग्रहका बुलावा मिल गया तो मैं क्या करूंगा। यह कहना जरूरी नहीं है कि जब कभी आप कार्य आरम्भ करें, आप भरोसा कर सकते हैं कि मैं आपका सहायक बन जाऊँगा---अलबत्ता, उस समय आपको मेरी जरूरत हो तो ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (जी० एन० ३७१८) से ।