पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/३१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१९५. नेटालके भारतीय

राजकोट
मई २०, १९०२

सेवामें

सम्पादक
इंग्लिशमैन

[ महोदय, ]

मैं आपके पत्र में थोड़ा-सा स्थान माँगनेका साहस करता हूँ, ताकि मैं जनताका ध्यान नेटाल विधानमण्डल द्वारा उस उपनिवेशमें बसे ब्रिटिश भारतीयोंपर और निर्योग्यताएँ लादनेकी नई कोशिशकी ओर खींच सकूं।

नेटालकी संसदने एक विधेयक पास किया है, जिसके अन्तर्गत गिरमिटिया भारतीयोंके बच्चे (१६ वर्षीय बालक और १३ वर्षीय बालिकाएँ) अपने माता-पिताकी तरह बाध्य हो जायें :

(क) भारतको लौटनेके लिए, या

(ख) गिरमिटिया मजदूर बननेके लिए, या

(ग) ३ पौंड वार्षिक व्यक्ति कर देनेके लिए ।

जब लॉर्ड एलगिन वाइसराय थे, तब नेटालसे एक शिष्टमण्डल[१] उन्हें इस बातपर रजामन्द करनेके लिए आया था कि वे गिरमिटको भारतमें पूरा करने और इस तरह उपनिवेशमें गिरमिटिया भारतीयोंकी स्थायी बसावट रोक देने, या प्रत्येक गिरमिटिया भारतीयपर, जो उपनिवेशमें स्वतन्त्र व्यक्तिके रूपमें रहना चाहे, २५ पौंड सालाना व्यक्ति-कर लगाने का कानून बनानेकी इजाजत दे दें। सौभाग्यसे वाइसराय महोदयने इस तरहके किसी प्रस्तावपर ध्यान नहीं दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश, और मेरा खयाल है, शायद कुछ खास परिस्थितियोंसे अपरिचित होनेके कारण, उन्होंने अनिच्छापूर्वक ३ पौंड वार्षिक व्यक्ति-कर लगानेकी मंजूरी देकर स्वतन्त्रताके मूल्यके रूपमें करका सिद्धान्त स्वीकार कर लिया। अब यदि उल्लिखित विधेयक कानून बन जाता है तो नेटाल-सरकार प्रायः वह चीज हासिल करने में सफल हो जायेगी, जिसे वह आठ साल पहले हासिल करनेमें असफल रही थी ।

साम्राज्यकी दुहाई हर एककी जबानपर है, खास तौरसे उपनिवेशों में । युगके महानतम ब्रिटिश राजनीतिज्ञ तो इस समस्याको हल करनेका प्रयत्न कर रहे हैं कि ब्रिटिश उपनिवेशोंके विभिन्न भागोंको मिलाकर उन्हें एक सुन्दर अटूट सम्पूर्णतामें कैसे बदला जाये, और फिर भी, यहाँ एक ऐसा उपनिवेश मौजूद है, जो ब्रिटिश प्रजाके दो वर्गोंमें बहुत ही उत्तेजक तरीकेसे द्वेषजनक भेदभाव बरपा कर रहा है ।

गिरमिटिया भारतीयोंके प्रति नेटाल सरकारका रुख हर दृष्टिसे अनुचित है । ये लोग नेटालमें उस उपनिवेशके बुलावेपर उसकी प्रगतिमें ठोस सहायता देनेके लिए जाते हैं। अभी गत मास ही आपने इस आशयका एक तार छापा था कि भारतसे गिरमिटिया लोगोंका प्रवास बन्द करनेके सुझावके उत्तरमें उपनिवेशके प्रधानमन्त्रीने कहा है कि इस प्रकारका कदम उपनिवेशके उद्योगोंको ठप्प कर देगा | नेटाल विधानमण्डलके एक सदस्यके शब्दोंमें, “भारतीय मजदूर तब लाये गये थे, जब उपनिवेशका भाग्य डावांडोल था। इससे भाव चढ़े, राजकीय

  1. १८९३-४ का बिन्स-मेसन आयोग