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पत्र: नाजर तथा खानको

सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं, जैसी मैं चाहता हूँ, इसलिए मैंने आपको या आपके पिताको नकल नहीं भेजी । उसे कृपया सर्वश्री पॉल, डन, अम्बू या लॉरेंससे लेकर पढ़ लें। वह सभीके लिए है । मुझे प्रसन्नता है कि जॉर्जको जोहानिसबर्गमें कुछ काम मिल गया है। उससे मुझे पत्र लिखनेको कहें। आपके पिता अब बिलकुल स्वस्थ हैं, इससे भी मुझे प्रसन्नता है । श्रीमती गांधी प्रायः श्रीमती गॉडफ्रे और आपकी बहनोंको याद करती हैं। अपने परिवारके सब सदस्योंको हमारी याद दिलाएँ। मुझे जब-तब पत्र अवश्य लिखते रहें ।

आपका सच्चा,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ३९५७) से ।

१९८. पत्र : नाजर तथा खानको

राजकोट
जून ३, १९०२

प्रिय श्री नाज़र और श्री खान,

मैं अब इसके साथ नेटाल सम्बन्धी कामके खर्चका एक लेखा[१] भेजता हूँ । आप देखेंगे कि इसका कुल जोड़ ३७८ रु० ७ आ० ९ पाई है, जो ड्राफ्टसे प्राप्त ३७५ रु० से कुछ अधिक है। अभी हालमें दक्षिण आफ्रिका सम्बन्धी काम बहुत बढ़ गया है। मैं फरवरीके अन्तमें कलकत्तेसे लौटा था । तबसे मैंने मामूली शर्तोंपर एक मुंशी रख लिया है। उसको नलका मेहनताना मिलता है जो अधिकतर मामलोंमें मुअक्किल देते हैं। फिलहाल मैं विश्राम कर रहा हूँ, यही मानना चाहिए। यदि नियमित कार्यालय भी खोल लूं, तो भी काठियावाड़में मेरे लिए ज्यादा काम न होगा। इसलिए मुंशीकी सहायताका वास्तविक उपयोग सार्वजनिक कार्यमें ही कर सकता हूँ। अबतक टाइप की हुई सामग्रीके सौ पृष्ठोंकी नकल की जा चुकी है। इसमें कार्बनी प्रतियाँ शामिल नहीं हैं। इसके अतिरिक्त बहुत-सा गुजराती पत्र-व्यवहार और दूसरा काम भी हुआ है। इस कामके लिए नकल-मेहनतानेके रूपमें अबतक केवल १५ रुपये दिये गये हैं । यहाँ सामान्य तौरपर आठ आना प्रति लिखित पृष्ठ लिया जाता है । उसको औसतन ३ घण्टे प्रतिदिन लगाने पड़े हैं; यह कहते हुए, मेरा खयाल है, मँ कामको कम कूत रहा हूँ। इन स्थितियोंमें मेरे विचारसे यह पैसा बहुत कम है । मैं चाहूँगा कि उसको अबतकके सारे कामका कमसे-कम ४० रुपये दे सकूं। इसके अतिरिक्त अभी काम चल ही रहा है। यदि मेरे पास पैसा होता तो मैं साहित्य अधिक विस्तृत रूपसे बाँट सकता। वर्तमान हालतमें तो मुझे बिना पैसेके जैसा काम करना पड़ रहा है। मैं बहुत चाहता हूँ कि एक या दो अखबारोंका ग्राहक बन जाऊँ, उदाहरणके लिए इंडिया, इंग्लिशमैन आदिका, जो राजकोटके पुस्तकालय में नहीं आते। निर्देशिकाओं ( डाइरेक्टरियों) का ग्राहक भी होना चाहता हूँ । बम्बई पहुँचते ही मैंने २०० रुपये टाइपराइटरमें लगा दिये । यह मशीन पूरी तरह सार्वजनिक काममें ही आई है। इसलिए मैं कांग्रेसके सामने नीचे लिखी तीन तजवीजें पेश करता हूँ :

  1. यह उपलब्ध नहीं है ।