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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

१ : वह मेरा बाकी हिसाब और क्लार्ककी फीसके २५ रुपये अर्थात् कुल २८ रुपये ७ आने ९ पाई मंजूर कर दे ।

२ : कांग्रेस टाइपराइटरको खरीद ले और उसे मैं उसी कीमतमें खरीदनेकी स्थितिमें होनेपर वापस ले सकूं, बशर्ते कि कांग्रेस उसे मेरे पाससे पहले ही ले न जाये ।

३ : कांग्रेस भावी खर्च पूरा करने के लिए २५ पौंडकी रकम और मंजूर कर दे ।

यदि ये तीनों तजवीजें मंजूर कर ली जाती हैं तो आपको २५ पौंड, टाइपराइटरका मूल्य और २८ रुपये ७ आने ९ पाई मुझे भेजने होंगे। मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि यदि मैं २५ पौंडसे ज्यादा खर्च करूँ तो वह मेरी अपनी जिम्मेदारी है। टाइपराइटर खरीदते समय यह तजवीज़ मेरे खयालमें बिलकुल नहीं थी जिसे मैं अब पेश कर रहा हूँ, क्योंकि तब मैंने यह आशा नहीं की थी कि मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी खराब हो जायेगी जैसी कि अब है। इसलिए यह बिलकुल कांग्रेसकी इच्छापर निर्भर है कि वह मेरी पहली दो तजवीजों को माने या रद कर दे । मेरा मतलब यह है कि कांग्रेस मेरी तजवीजें समझकर ही उन्हें मंजूर करनेका खयाल न करे। यदि वे अपनी पात्रताके आधारपर उचित प्रतीत होती हों, और यदि नया टाइपराइटर खरीदने की बात हो और कांग्रेसको उसमें अब भी रुपया लगाना ही हो, केवल तभी इन दो तजवीजोंपर विचार किया जाये। मैं यह भी कह दूं कि जो क्लार्क मेरे साथ काम कर रहा है, वह मेरा भतीजा है और यदि काम इतना ज्यादा न होता तो मैंने उसको लेखन कार्यका खर्च देनेका खयाल न किया होता । वह स्वयंसेवक नहीं है, जिससे बिना वेतनके किसी भी हदतक काम करनेकी आशा की जा सके। मेरी मार्फत जितनी आय होती है उसके अतिरिक्त उसके पास आयका कोई अन्य साधन नहीं है। इसलिए, जहाँतक तीसरी तजवीजका सवाल है, यदि वह मंजूर कर ली गई तो खर्चकी जरूरत होने पर मैं इसके बलपर सार्वजनिक कार्य ज्यादा अच्छी तरह कर सकूंगा ।

साथमें प्रेसिडेंसी असोसिएशनके प्रार्थनापत्र[१] की नकल और इंग्लिशमैन[२]के लिए अपना पत्र और वॉइस ऑफ इंडिया[३] के लिए लिखा हुआ लेख नत्थी करता हूँ । आपके प्रवासियों सम्बन्धी स्मरणपत्र[४] की कमसे-कम सौ प्रतियोंकी तथा कुछ चित्रों और ताजपोशी-भाषणकी प्रतियोंकी भी प्रतिदिन प्रतीक्षा है । दूसरे स्मरणपत्रोंकी प्रतियों, दक्षिण आफ्रिकी सरकारी रिपोर्टों (ब्लू बुक्स) आदिकी प्रतीक्षा भी कर रहा हूँ । बर्डका नेटालका इतिहास (ऐनल्स ऑफ़ नेटाल) और शिक्षा अधीक्षक (सुपरिटेंडेंट ऑफ़ एजुकेशन) की नई रिपोर्ट भी मेरे पास हो तो बहुत अच्छा होगा। सरकारी गजट और नेटाल मर्क्युरी साप्ताहिक अवश्य मिलने चाहिए।

आपका सच्चा,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ३९७६ ) से ।

  1. देखिए "प्रार्थनापत्र : लॉर्ड हैमिल्टनको," जून ५, १९०२ ।
  2. देखिए " नेटालके भारतीय," मई २०, १९०२ ।
  3. देखिए “भारत और नेटाल," मई ३१, १९०२ ।
  4. यह प्रार्थनापत्र वह है, जो नेटालके भारतीयोंने १८९५ के भारतीय प्रवासी विधेयक के संशोधनके सम्बन्धमें जून १९०२ में चेम्बरलेनको दिया था । (देखिए इंडिया, १९-९-१९०२ ) ।