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प्रार्थनापत्र : लार्ड हैमिल्टनको

स्वयंसेवक आहत-सहायक दलके कार्यसे महानुभाव भली भाँति परिचित हैं। खरीतोंमें उनके इस कार्यका प्रशंसाके साथ उल्लेख किया गया है।

परिषदका खयाल है कि ऐसे लोग उपर्युक्त ढंगका वार्षिक कर लगाने की अपेक्षा अधिक अच्छे व्यवहारके अधिकारी हैं ।

उक्त कानूनका सिद्धान्त इतना साफ अन्यायपूर्ण है कि परिषद उसकी तफसीलोंकी जाँच-पड़ताल करना आवश्यक नहीं समझती ।

जबसे उपनिवेशको स्वशासन प्राप्त हुआ है, तभीसे वहाँके भारतीय अधिवासी, फिर वे चाहे स्वतन्त्र हों या गिरमिटिया, इस प्रकारके "कोंच-टोंच” कानूनोंसे चैनकी साँस नहीं ले पाये हैं । ऐसे कानूनोंकी ओर महानुभावका ध्यान विविध सार्वजनिक संस्थाओं और प्रेसिडेन्सी असोसिएशनने भी आकर्षित किया ही है ।

यदि इस स्वशासित उपनिवेशको साम्राज्यीय विचारोंकी उपेक्षा करने और ब्रिटिश प्रजाओंको विदेशी समझनेसे रोकना कठिन जान पड़े तो जिस प्रकार पूर्व भारत संघ (ईस्ट इंडिया असोसिएशन)ने अभी हालमें महानुभावसे प्रार्थना की थी, उसी प्रकार परिषद भी सम्मानपूर्वक यह विचार प्रकट करती है कि अब समय आ गया है जब महानुभाव भारतसे नेटाल उपनिवेशको भारतीयोंका राज्य नियन्त्रित प्रवास रोकने की कार्रवाई करें। उल्लिखित विधेयकसे हानि भी इन्हीं लोगोंकी होती है, यह देखते हुए उक्त कार्रवाई करना और भी आवश्यक हो गया है।

आपके, आदि,
फीरोजशाह एम० मेहता
अध्यक्ष
दिनशा ईदुलजी वाछा
अमीरुद्दीन तैयबजी
चिमनलाल सीतलवाड
अवैतनिक मन्त्रीगण

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स, सी० ओ० १७९, जिल्द २२५, इंडिया ऑफिस ।