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संपूर्ण गांधी वाङमय

थी कि जिस तरह सम्राज्ञी-सरकारने हमारे मामलेको फैसलेके लिए पंचके सुपुर्द किया था उसी तरह वह उसे अन्त तक निभायेगी भी।

आपके, आदि ,
 
(हस्ताक्षर) तैयब हाजी खान मुहम्मद
 
हाजी हबीब हाजी दादा
 
मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन ऐंड कं०
 

[अंग्रेजीसे]

एम० एच० यूसब
 

सम्राज्ञीके मुख्य उपनिवेश-सचिव, लन्दनके नाम दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य-स्थित उच्चा- युक्तके तारीख ९-३-१८९८ के गोपनीय खरीतेका सहपत्र ।

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स : सी० ओ० ४१७, जिल्द २४३ ।

२. सोमनाथ महाराजका मुकदमा

विक्रेता-परवाना अधिनियम, १८९७ के द्वारा नेटालकी नगर-परिषदों और नगर निकायोंको व्यापारियोंको परवाने देनेके लिए “ परवाना-अधिकारियों" की नियुक्ति करने, उनके निर्णयोंकी पुष्टि करने और अपनी ही की हुई पुष्टिकी अपील सुननेफा अधिकार दिया गया था। डर्बन नगर-परिषदने सोमनाथ महाराजके मुकदमे में उपर्युक्त दूसरे प्रकारकी अपीलकी, जिसकी पैरवी गांधीजीने की थी, जो सुनवाई की उसका विवरण नीचे दिया जाता है। यह विवरण गांधीजीने उपनिवेश-मन्त्री श्री जोजेफ़ चेम्बरलेनके नाम दिसम्बर ३१, १८९८ के प्रार्थनापत्रके साथ परिशिष्टके रूपमें नत्थी किया था। सोमनाथ बनाम डर्बन निगमके नामसे प्रसिद्ध अपीलमें नेटालके सर्वोच्च न्यायालयने मार्च ३०, १८९८ को डर्बन नगर-परिषदके प्रतिकूल निर्णयको इस आधारपर रद कर दिया था कि उसकी कार्रवाई अवैध थी। इसकी आगे अपील हुई, जो ६ जूनको सुनी गई (जिसकी रिपोर्ट नेटाल ऐडवर्टाइज़र में ७-६-२८९८ को छपी थी)। उसमें नगर-परिषदने सोमनाथ महाराजको परवाना देनेसे इनकार करनेके सम्बन्धमें परवाना-अधिकारीका यह कारण बहाल रखा: “ चूँकि वे जिस किस्म के व्यापारमें लगे हुए थे, उसकी कस्बे और शहरमें काफी व्यवस्था थी।"

प्रारम्भिक सुनवाई

श्री सी० ए० डी' आर० लेविस्टर प्रार्थीकी ओरसे हाजिर हुए और उन्होंने कहा कि निर्दिष्ट मकानके बारे में सफाई-दारोगाने बहुत ही सन्तोषजनक रिपोर्ट दी है और उसमें खासा-अच्छा व्यापार शुरू करनेके लिए उनके मुअक्किलके पास यथेष्ट पूँजी है । प्रार्थी एफ समर्थ व्यापारी है ।

श्री कालिन्स : क्या परवाना-अधिकारीके बताये कारण हमारे पास आये हैं ?

मेयर : नहीं।

श्री टेलर : मैं समझता हूँ, जबतक परिषदका बहुमत माँग न करे, परवाना अधिकारीके लिए कारण बताना जरूरी नहीं है। हमारा काम तो सिर्फ इतना तय करना है कि हम परवाना-अधिकारीके निर्णयफी पुष्टि करेंगे या नहीं। मैं प्रस्ताव करता हूँ हम पुष्टि कर दें।

श्री हेनबुडने प्रस्तावका समर्थन किया ।

श्री कालिन्सने संशोधनके रूपमें प्रस्ताव पेश किया कि परवाना-अधिकारीसे अपने कारण बतानेका अनुरोध किया जाये।

श्री एलिस आउनने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कारण प्राप्त कर लेना ज्यादा सन्तोषजनक होगा।

संशोधन तीनके खिलाफ चार मतोंसे गिर गया ।

१. अपनी भेंट और अपने मई १८, १८९७ के पत्रमें भी (खण्ड २, पृष्ठ ३५१) गांधीजीने कहा था कि इस परीक्षात्मक मुकदमेका खर्च ब्रिटिश सरकारको उठाना चाहिए, परन्तु यह निवेदन नामंजूर कर दिया गया था।

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