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पत्र : दलपतराम भवानजी शुक्लको

यदि इस बार भी काठियावाड़में वर्षा न हुई तो अवस्था बहुत ही गम्भीर हो जायेगी । मुझे भय है कि जोशी[१] और मौसम की भविष्यवाणी करनेवाले अन्य लोग तो केवल बुरी खबरें फैलानेमें ही अच्छे हैं।

कृपया यह पत्र शुक्लको दिखा दीजिए।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

महात्मा, जिल्द १; एक अंग्रेजी फोट-नकलसे ।

२०५. पत्र : दलपतराम भवानजी शुक्लको

आगाखाँ भवन
उच्च न्यायालय के सामने
बम्बई
नवम्बर ३, १९०२

प्रिय शुक्ल,

आपका पत्र मिला । हाँ, मुझे नेटालसे तार मिला है। पूछा गया है कि क्या मैं यहाँसे लन्दन और लन्दनसे ट्रान्सवाल जा सकता हूँ। मैंने उत्तर दिया है, जबतक बिलकुल जरूरी ही न हो, ऐसा नहीं कर सकूंगा । ठीक उसी समय मेरे बच्चे बीमार थे, और कैसा भी हो, अभी मैं इतनी ताकत तो महसूस करता ही नहीं कि लन्दन और दक्षिण आफ्रिकाकी यात्रामें जो मानसिक श्रम होगा उसे बर्दाश्त कर सकूं। मेरे इस तारका जवाब मुझे अभी नहीं मिला है।

अभीतक मैं कह नहीं सकता कि मुझे यहाँ अपने रास्तेका अन्दाज हो गया है, लेकिन मैं भविष्य के बारेमें चिन्तित नहीं हूँ । अबतक तो दफ्तरी कामसे मेरा खर्च निकलता रहा है । मुझे लगता है यह खर्च हम वहाँ जितना सोचते थे उससे ज्यादा पड़ेगा ।

नाजावाला मुकदमेमें आप इस्तगासेकी ओरसे पैरवीके लिए बाँध लिये गये हैं इससे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। एक नहीं, अनेक कारणोंसे मुझे आशा है, आप अपराधीको दण्ड दिलानेमें सफल होंगे ।

मैं नहीं जानता कि पत्रोंपर छपे सरनामे बैरिस्टरकी सुरुचिको प्रकट करते हैं। करें या न करें, मुझे तो ये डर्बनसे भेंटमें मिले हैं, इसलिए मैं इनका उपयोग कर रहा हूँ---- अलबत्ता अभीतक दफ्तरके काममें इनका उपयोग नहीं किया ।

प्लेगने राजकोटकी शक्ल ही बदल दी होगी। आशा है, उसका जोर अब घट रहा होगा ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (जी० एन० २३२९) से ।

  1. ज्योतिषी।