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२०७. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

उच्च न्यायालयके सामने
बम्बई
नवम्बर १४, १९०२

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

मैं बम्बईमें जम गया हूँ, ऐसा मुझे लगा ही था कि नेटालसे एक सन्देश मिला जिसमें मुझसे तुरन्त वहाँ आने को कहा गया था । हमारे नेटाली बन्धुओं और मेरे बीच तारोंकी जो अदला-बदली हुई है, उससे मेरा खयाल होता है कि वहाँ मेरी जरूरत श्री चेम्बरलेन की आगामी दक्षिण आफ्रिका यात्राके सम्बन्धमें हुई है । मैं जो जहाज पहले मिले उसीसे रवाना हो जाना चाहता हूँ । शायद २० तारीखको रवाना हो जाऊँ ।

मेरी इच्छा थी रवाना होनेसे पहले आपसे मिल सकता; किन्तु यह असम्भव जान पड़ता है। आशा है, आप दक्षिण आफ्रिकी भारतीयोंके प्रश्नपर निगाह रखेंगे। जबतक मैं वहाँ रहूँगा, स्थितिसे आपको परिचित रखना अपना कर्तव्य समझूंगा। मेरे खयालसे लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनका उत्तर आशाप्रद ही है। और यदि भारत में आन्दोलन अच्छी तरहसे चलाया गया तो मुझे निश्चय है कि इस कार्यको बहुत लाभ पहुँचेगा ।

आशा है, आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा । कुछ समय पहले श्री वाछाने मुझे बताया था कि आप आबोहवा बदलनेके लिए महाबलेश्वर जा रहे हैं ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (जी० एन० २२४५) से ।

२०८. शिष्टमण्डल : चेम्बरलेनकी सेवामें

नेटाल भारतीय कांग्रेस
पो० आ० बॉक्स १८२
कांग्रेस-भवन
डर्बन
दिसम्बर २५, १९०२

प्रिय श्री मेयर,

परम माननीय श्री चेम्बरलेनसे कल जो भारतीय शिष्टमण्डल मिलनेवाला है उसके सामने एक अलंघ्य कठिनाई है। कल जुम्मा है और नमाजका भी वहीं वक्त है। शिष्टमण्डलमें जो सज्जन शामिल होनेवाले हैं उनमें से अधिकांश नमाज छोड़नेमें बिलकुल असमर्थ होंगे । इस स्थितिमें अगर आप भारतीय शिष्टमण्डलके लिए शनिवारको कोई समय निश्चित करनेकी कृपा करेंगे तो मैं बहुत ही कृतज्ञ होऊँगा ।

आपका सच्चा,

साबरमती संग्रहालय : दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ४०२०)से ।