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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

हमें अधिक कुछ कहनेकी आवश्यकता नहीं। हम जानते है कि आपकी सहानुभूति हमारे साथ है । हमारी प्रार्थना इतनी ही है कि आप कृपा करके अपने प्रभावका उपयोग हमारे पक्षमें करनेका कष्ट करें ।

आपके आज्ञाकारी और विनम्र सेवक,
मो० क० गांधी
तथा पन्द्रह अन्य

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स : पिटिशन्स ऐंड मेमोरियल्स, १९०२, सी० ओ० ५२९/१।

२१०. पत्र : उपनिवेश-सचिवको

३३८, प्रिन्स स्ट्रीट
प्रिटोरिया
जनवरी २, १९०३

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव
प्रिटोरिया

श्रीमन,

ट्रान्सवाल-निवासी ब्रिटिश भारतीय समाज परम माननीय श्री जोज़ेफ़ चेम्बरलेनके सामने उन कानूनी निर्योग्यताओंके विषयमें अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता है जिनसे वह इस उपनिवेशमें तथा ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें त्रस्त है ।

भारतीय समाजकी ओरसे मैं आपसे सादर पूछना चाहता हूँ कि क्या परम माननीय महानुभाव इस मामलेमें एक शिष्टमंडलसे भेंट करनेकी कृपा करेंगे और यदि हाँ तो कब ?

१८९४ से १९०१ के मध्यतक यहाँ रहनेवाले मेरे देशवासी श्री मो० क० गांधी एडवोकेटकी सलाहसे काम करते रहे हैं। इस बीचमें उपनिवेश कार्यालयके सामने जो प्रार्थनापत्र आदि रखे गये थे उनमें से अधिकतर उन्हींके तैयार किये हुए थे ।

माननीय सहायक उपनिवेश सचिव जिनसे मैंने और मेरे मुंशी श्री हाजी हबीबने, और श्री गांधीने भी, आज सबेरे भेंट की थी, कहते हैं कि श्री गांधीको, ट्रान्सवाल-निवासी न होनेके कारण, श्री चेम्बरलेके सम्मुख हमारा प्रतिनिधित्व न करने दिया जायेगा । परन्तु हमारे बीच दूसरा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसने भूतपूर्व गणराज्यके भारतीय-विरोधी कानूनोंका इतना अध्ययन किया हो जितना श्री गांधीने किया है, और वे कर रहे हैं। और इसीलिए वे खास तौरसे बम्बईसे बुलाये गये हैं। मैं सादर प्रार्थना करता हूँ कि यदि परम माननीय महानुभाव उदारतापूर्वक शिष्टमंडलसे भेंट करना स्वीकार करें तो उसके साथ श्री गांधीको भी आने की अनुमति प्रदान करें ।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
तैयब हाजी खान मुहम्मद

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४०२३) से ।