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अभिनन्दनपत्र : चेम्बरलेनको

डॉक्टर एच० प्रायरवील बी० ए०, एम० बी० बी० सी० (कैंटब), इस प्रकार प्रमाणित करते हैं :

मैंने उनके [ भारतीयोंके ] शरीरोंको आम तौरसे स्वच्छ और उन लोगोंको गंदगी तथा लापरवाहीसे उत्पन्न होनेवाले रोगोंसे मुक्त पाया है। उनके मकान साधारणतः साफ रहते हैं और सफाईका काम वे राजी-खुशीसे करते हैं। वर्गकी दृष्टिसे विचार किया जाये तो मेरा यह मत है कि निम्नतम वर्गके भारतीय निम्नतम वर्गके यूरोपीयोंकी तुलनामें बहुत अच्छे उतरते हैं । अर्थात्, निम्नतम वर्गके भारतीय निम्नतम वर्गके यूरोपीयोंकी अपेक्षा ज्यादा अच्छे ढंगसे, ज्यादा अच्छे मकानोंमें और सफाईकी व्यवस्थाका ज्यादा खयाल करके रहते हैं ।

मैंने यह भी देखा है कि जिस समय शहर और जिलेमें चेचकका प्रकोप था ---और जिलेमें अब भी है तब प्रत्येक जातिके एक या अधिक रोगी कभी-न-कभी संक्रामक रोगोंके चिकित्सालयमें रहे, परन्तु भारतीय कभी एक भी नहीं रहा ।

मेरे खयालसे आम तौरपर भारतीयोंके विरुद्ध सफाईके आधारपर आपत्ति करना असम्भव है। शर्त हमेशा यह है कि सफाई-अधिकारियोंका निरीक्षण भारतीयोंके यहाँ उतना ही कठोर और नियमित हो, जितना कि यूरोपीयोंके यहाँ होता है।

डॉक्टर एफ० पी० मैरेस, एम० डी० (एडिन० ) प्रमाणित करते हैं :

इन लोगोंमें चिकित्साका बहुत बड़ा धन्धा करनेके कारणमें व्यक्तिगत अनुभवसे कह सकता हूँ कि गरीब यूरोपीयोंकी अपेक्षा ये ज्यादा साफ-सुथरे होते हैं, और यदि सफाईके अभाव के कारण रंगदार लोग हटाये जाते हैं तब तो कुछ गरीब यूरोपीयोंको भी उसी दुर्भाग्यका शिकार होना पड़ेगा ।

परन्तु इस विषयपर हम और अधिक विचारकी आवश्यकता नहीं समझते, क्योंकि हमारे प्रार्थनापत्र[१] के उत्तरमें आपने इस बातपर अपना संतोष प्रकट किया था कि हमारी स्वतंत्रतापर जो नियंत्रण लगाये गये हैं वे व्यापारिक ईर्ष्याके परिणाम हैं। उपनिवेशके कुछ भागोंमें गोरे लोगोंके संघ कायम हुए हैं। कदाचित् उनका जिक्र करना भी हमारे लिए व्यर्थ है । यह तो भाग्यकी एक विचित्र विडम्बना है कि जब डचेतर गोरोंका प्रसिद्ध प्रार्थनापत्र इंग्लैंडकी सरकारको भेजा गया था तब बोअर कुशासनके विरोधमें हम भाई-भाईकी हैसियतसे शामिल होनेके लिए आमंत्रित किये गये थे और हमसे कहा गया था कि सम्राट्का शासन स्थापित होनेपर हमारी निर्योग्यताओंका निवारण हो जायेगा। अब ये सज्जन प्रस्ताव पास करके साम्राज्य सरकारसे माँग कर रहे हैं कि वे ही निर्योग्यताएँ कायम रखी जायें ।

यदि ऑरेंज रिवर उपनिवेशमें भारतीय विरोधी विधानका उल्लेख करने की अनुमति हो तो हम उसे नीचे संक्षेपमें देना चाहेंगे ।

१८९० का अध्याय ३३ प्रत्येक एशियाईको रोकता है :

(१) अध्यक्षकी आज्ञाके बिना राज्यमें २ महीनेसे अधिक रहनेसे;

(२) अचल सम्पत्तिका स्वामित्व ग्रहण करनेसे;

(३) व्यापार या खेती करनेसे । और जब उपर्युक्त प्रतिबन्धोंके अधीन अनुमति दे दी गई हो तब अध्याय १० के अन्तर्गत १० शिलिंग वार्षिक व्यक्ति-कर लगता है।

  1. देखिए पादटिप्पणी २, पृष्ठ २९४ ।