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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वहाँ आबाद बहुतसे भारतीय व्यापारियोंमें से तीन अन्त समयतक अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते रहे । भूतपूर्व सरकार द्वारा वे, उपर्युक्त अध्यादेशके अनुसार, देशसे निकाल दिये गये और उन्हें नौ हजार पौंडसे अधिककी क्षति हुई।

इन सब कठिनाइयोंमें हमें इस बातसे सांत्वना मिलती रही है कि इनकी ओर आपका और परमश्रेष्ठ उच्चायुक्तका सूक्ष्म और सहानुभूतिपूर्ण ध्यान गया है।

अखबारी खबरोंके अनुसार, विराट् दिल्ली दरबारमें महामहिम सम्राट्ने भारत निवासियों को सन्देश देते हुए अपना यह आश्वासन फिर दुहराया है कि वे भारतीयोंकी स्वतंत्रता, अधिकारों और भलाईका खयाल रखेंगे ।

और अब, महानुभाव, चूंकि आप नये उपनिवेशोंमें, अन्य बातोंके साथ-साथ, भारतीय प्रश्नका भी अध्ययन करनेके लिए पधारे हैं, क्या हम आशा करें कि निकट भविष्यमें वह अनुग्रहपूर्ण आश्वासन हमारे लिए अन्य ब्रिटिश प्रजाजनोंके साथ-साथ स्वतंत्रताके कानूनमें परिणत किया जायेगा, जिससे हम उपर्युक्त प्रतिबन्धों और तिरस्कारोंके लक्ष्य बने बिना नये उपनिवेशोंमें अपनी जीविका अर्जित कर सकें ?

आपके अत्यन्त आज्ञाकारी और
विनम्र सेवक,

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स : पिटिशन्स ऐंड मेमोरियल्स १९०३, सी० ओ० ५२९, जिल्द १।


२१३. प्रार्थनापत्र : लॉर्ड कर्जनको

डर्बन, नेटाल
जनवरी [?], १९०३[१]

सेवामें

परमश्रेष्ठ परम माननीय केडल्स्टनके लॉर्ड कर्ज़न, पी० सी०,
जी० एम० एस० आई०, जी० एम० आई० ई०, इत्यादि

वाइसराय तथा गवर्नर-जनरल, भारत, कलकत्ता

नेटाल उपनिवेशवासी ब्रिटिश भारतीय समाजके निम्नहस्ताक्षरकर्ता
प्रतिनिधियोंका नम्र प्रार्थनापत्र

सादर निवेदन है कि,

प्रार्थी परमश्रेष्ठकी सेवामें उस आयोगके विषयमें निवेदन करना चाहते हैं, जो भारत-सरकारको इस बातके लिए रजामन्द करनेके उद्देश्यसे अभी नेटालसे रवाना हुआ है कि, जो गिरमिटिया भारतीय नेटाल आते हैं उनका गिरमिट पूरा होनेपर वह उनको अनिवार्य रूपसे भारत लौटानेकी मंजूरी दे दे ।

प्रार्थी परमश्रेष्ठका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकृष्ट करते हैं कि १८९४ में नेटाल-सरकारने दो सज्जनोंको प्रतिनिधि बनाकर इसी उद्देश्यसे भारत सरकारके साथ बातचीत करनेके लिए भेजा

  1. मूल प्रतिमें तारीख नहीं दी गई ।