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संपूर्ण गांधी वाड्मय

परिषदसे मिलनी चाहिए। इसके बदले, लगभग सारेके-सारे म्यूनिसिपल तन्त्रने उसका विरोध किया, उसे अनुमान करना पड़ा कि परवाना देनेसे किन कारणोंसे इनकार किया गया, और परिषदके सामने आना पड़ा और फिर, बहुत-सा धन खर्च कर देने के बाद, शायद उससे कह दिया जायेगा कि परवाना-अधिकारीका निर्णय बहाल रखा गया है। क्या ब्रिटिश संविधानमें अपील इसीको कहते है ?

श्री ईवान्स : अर्जदारके पास पहले कोई परवाना था या नहीं?

मेयर : उपनिवेशके एफ दूसरे हिस्सेमें उसकी एक दुकान है, परन्तु डवनमें आये उसे सिर्फ तीन माह ही हुए है।

श्री कॉलिन्सने कहा कि श्री गांधी हमारा फैसला एफ कानूनी नुक्ते पर लेना चाहते हैं। यह अदालत कानूनके जानकार लोगोंकी नहीं है, और मैं नहीं कह सकता कि हम अपने कानूनी सलाहकारकी सलाह लिये विना फैसला दे सकते हैं या नहीं। कानूनके अनुसार, परिषद परवाना-अधिकारीको कारण लिखकर देनेके लिए कह सकती है, परन्तु मैं मानता हूँ कि इस नुक्तेपर मुझे कानून अच्छा नहीं लगता, मेरी रायमें इससे सच्चा न्याय प्रकट नहीं होता । परन्तु फिर भी कानूनका पालन तो करना ही चाहिए । मुझे जो अन्याय लगता है उसका प्रतिकार करनेका उपाय भी कानूनमें ही मौजूद है । हम परवाना-अधिकारीको परवाना देनेसे इनकार करनेके कारण लिखकर देनेके लिए कह सकते हैं। इसके बाद हमें यह बैठक मुल्तवी कर देनी चाहिए, जिससे कि अपील करनेवालेको उन कारणोंका जवाब देनेका मौका मिल सके । मेरा खयाल है कि हमें इसी रास्ते चलना चाहिए और इसलिए मैं प्रस्ताव करता हूँ कि परवाना-अधिकारीको अपने कारण लिखकर देनेके लिए कहा जाये ।

श्री चेलिनॉरने इसका अनुमोदन किया ।

श्री ईवान्स ने कहा कि परवाना-अधिकारीके कारण जाननेका परिषदको विशेषाधिकार है, इसलिए मेरी रायमें हमें उससे उन्हें लिखवा लेना चाहिए ।

श्री एलिस ब्राउन - हाँ, उन्हें सदस्योंमें घुमा दीजिए ।

श्री क्लार्कने प्रस्ताव किया कि सब सदस्य कारण देखनेके लिए. पाँच मिनटको मेयरके कमरे में चले चलें।

श्री कॉलिन्सने इसका समर्थन किया और कहा कि मैंने कई बार सुना है कि न्याय अन्धा होता है, परन्तु अबसे पहले मैंने इसका इतना जोरदार उदाहरण नहीं देखा था। परिषदके कुछ सदस्य, परवाना देनेसे इनकार करनेके कारण जाने बिना भी, इस मामलेपर मत देनेको तैयार थे।

श्री टेलरने श्री कॉलिन्सके साथ सहमति प्रकट करते हुए कहा कि न्याय तो बेशफ अन्धा होता है, परन्तु परिषदके कुछ सदस्य परवाना-अधिकारीके कारणोंको, कागजके पुजेंपर नजर डाले विना भी, देख सकते हैं ।

मुझे खेद है कि यहाँ ऐसे अजान व्यक्ति भी मौजूद हैं, जो उन्हें देख नहीं सकते ।

प्रस्ताव पास हो गया और परिधदके सदस्य उठ गये।

परिषद-कक्षमें वापस आने पर --

श्री गांधी : मैंने जो प्रश्न उठाये हैं उनका मैं फैसला चाहता हूँ।

मेयर : परिषदका निर्णय आपके विरुद्ध है।

श्री गांधीने कहा : मेरे मुअक्किल में पाया जा सकनेवाला एक मात्र दोष यह है कि उसकी खाल गेहुँए रंगकी है और डर्बनमें उसके पास इससे पहले कभी परवाना नहीं रहा। मुझे बताया गया है कि प्राथियोंमें व्यापार करने के लिए खासी कानूनी योग्यताएँ हों या न हों, परिषद नये परवानोंकी कोई अर्जी मंजूर नहीं करेगी। अगर यह सही है, तो अन्यायपूर्ण है। और अगर किसी व्यक्तिको इसलिए परवाना नहीं दिया जाता कि उसकी खाल गेहुँए रंगकी है, तो ऐसे निर्णयमें अन्यायकी बू है और वह निश्चय ही अ-ब्रिटिश है। कानूनमें ऐसी कोई बात नहीं है जिससे कि किन्हीं व्यक्तियोंको उनकी राष्ट्रीयताके आधारपर परवाने देनेसे इनकार करना जरूरी हो। इस न्यायाधिकरणको, जो बातें आतंकके समय में कही गई हों उनसे नहीं, बल्कि भूतपूर्व Gandhi Heritage Portal