पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/३४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३००
सम्पूर्ण गांधी वाङमय

होगी। श्री चेम्बरलेन द्वारा साम्राज्य-भक्तिका उपदेश दिया जानेके पश्चात् भी, नेटाल इकरारनामेके उचित सिद्धान्तोंकी सर्वथा उपेक्षा करके एकमात्र अपने लाभके लिए भारतीय मजदूरोंके शोषणका यत्न करेगा, यह बात हमारी समझ-शक्तिसे परे है और इससे प्रकट होता है कि इस उपनिवेशकी ब्रिटिश भारतीय-विरोधी वृत्ति तनिक भी परिवर्तित नहीं हुई है। इसका समर्थन इस तथ्यसे भी होता है कि मैरित्सबर्गकी नगर परिषद भारतीयोंको भूमिका स्वामित्व प्राप्त करनेके अधिकारसे वंचित करनेका प्रयत्न कर रही है। इस समस्याका सरल और कारगर हल यह है कि गिरमिटिया भारतीयोंका नेटाल आना रोक दिया जाये --- जैसा लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनने भी सुझाया है ।

आपका सच्चा,

दफ्तरी अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४०३५) से ।

२१५. पत्र : छगनलाल गांधीको

जोहानिसबर्ग
गुरुवार,फरवरी ५, १९०३

चिरंजीव छगनलाल,

यद्यपि मैं ऊपरके ठिकानेपर हूँ, फिर भी पत्र तो डर्बनके पतेपर ही लिखना ।

तुम्हारा लम्बा पत्र मिला । चिरंजीव मगनलाल[१] तथा चिरंजीव आनन्दलाल[२]ने दूकान[३] खोली है । इसलिए मुझे ऐसा नहीं लगता कि अब वह[४] यहाँ आयेगा । मैंने उसे लिखा है कि उसकी मरजी हो, तो आये । नौकरीका योग ठीक है। अगर मेरा यहाँ रहना हो गया, तो ठीक नौकरी मिल सकेगी। फिर भी यह बात मैंने उसकी मरजीपर छोड़ी है। उसे जहाज पर हलका बुखार था, किन्तु उसमें तुम्हें खबर देने जैसी कोई बात नहीं थी ।

मेरे बारेमें बहुत-कुछ अनिश्चित है । यद्यपि कोशिश बहुत करता हूँ, तो भी तुम्हें अधिक सन्तोषजनक खबर नहीं दे पाता। यदि यहाँ रहना नहीं हुआ तो मैं, सम्भव है, मार्च में यहाँसे निकलूं । यदि रहना निश्चित हुआ तो तुम सबको ६ महीने बाद बुलाना सम्भव हो जायेगा । तुरन्त बुलवानेकी सम्भावना नहीं है। फिर भी यदि उससे कर्तव्यमें कोई कसर पड़ती नहीं दिखी, तो मैं भरसक घर वापस आनेकी कोशिश करूँगा । यहाँ कोई फूलों की सेज नहीं है। अभी इससे अधिक निश्चित समाचार नहीं दे सकता। यदि मैं आया तो तार दूंगा । यदि मेरा रुकना निश्चित हुआ तो भी तुम सबके सन्तोषके लिए तार दे दूंगा ।

चिरंजीव मणिलालकी फीसकी चिन्ता नहीं, उसे तारका बाजा सीखनेके लिए भेजना ही चाहिए। उसे वहाँ भेजना बन्द कर दिया, यह ठीक नहीं हुआ। किन्तु इसमें दोष तुम्हारा नहीं, तुम्हारी काकीका है।

रा. रा. नरभेरामके पाससे पुस्तकें मिली होंगी।

  1. छगनलाल गांधीके भाई ।
  2. गांधीजीके भतीजे ।
  3. यह दूकान टोंगाटमें खोली थी ।
  4. मगनलाल गांधी ।