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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

स्वाभाविक है कि इन बाजारोंमें जो मकान बनेंगे वे सस्ते और आरामदेह होंगे। परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नर महोदयने जिन भारतीयोंको वे घरबारका कहा है वे खुशीसे इन मकानोंका फायदा उठायेंगे ।

इस सम्बन्धमें और जानकारी अथवा मेरी उपस्थितिकी जरूरत होनेपर मैं जानकारी भेजूंगा या हाजिर होऊँगा।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

प्रिटोरिया आर्काइव्ज़, फाइल एल-टी० जी० ९४ ।

२१७. भारतीय प्रश्न[१]

पोस्ट बॉक्स नं० २९९
जोहानिसबर्ग
फरवरी २३, १९०३

ट्रान्सवाल और ऑरेंज रिवर उपनिवेशके भारतीयोंके मसलेसे
सम्बन्धित लघु वक्तव्य

श्री चेम्बरलेन कदाचित् इस हफ्तेमें इंग्लैंडको रवाना हो जायेंगे, मगर भारतीयोंकी स्थिति अभीतक जैसीकी तैसी है।

परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नर, ट्रान्सवालकी सेवामें एक छोटा-सा शिष्ट-मण्डल उपस्थित हुआ था ।[२] परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेन्ट गवर्नरने उससे कहा था कि जब परिवर्धित विधान परिषदका गठन होगा, तब सारे प्रश्नपर पूरा-पूरा विचार किया जायेगा। उनका व्यवहार बहुत शिष्ट था।

श्री चेम्बरलेनने एक भारतीय-विरोधी शिष्ट-मण्डलसे कहा बताते हैं कि यह ऐसा प्रश्न हैं जिसको अन्तिम निर्णयसे पूर्व ब्रिटिश मन्त्रिमण्डलके सम्मुख पेश करना होगा। परमश्रेष्ठके उपर्युक्त उत्तर और इस उत्तरको एक साथ रख कर देखनेसे यह अन्दाज लगता है कि श्री चेम्बरलेन इंग्लैंडकी सरकारसे सलाह-मशविरा करनेके बाद कोई विधान-योजना बनायेंगे और वह विधानसभामें पेश की जायेगी। यदि यह विधान भारतीयोंके हितोंके विरुद्ध भी हुआ, तो पास होने के बाद उसके विरुद्ध कोई सुनवाई लगभग असम्भव होगी। इसलिए नये उपनिवेशोंके लिए प्रस्तावित विधानसे सम्बन्धित समस्त प्रयत्नोंके एकीकरणकी अत्यन्त आवश्यकता है।

भारतीय विरोधी विधानका स्वरूप श्री चेम्बरलेनके सामने रखे गये वक्तव्य[३]से, जिसकी नकलें इंग्लैंडके मित्रोंको भेजी जा चुकी हैं, स्पष्ट हो जाता है।

एक जिम्मेदार सूत्रसे सूचना मिली है कि चूंकि, सरकार उपनिवेशियोंको खुश करने के लिए जरूरतसे ज्यादा फिक्रमन्द है, अतः वह भारतीय हितोंकी उपेक्षा कर देगी और ऐसा विधान पेश करेगी जो केप, नेटाल और ट्रान्सवालकी योजनाओंके कान काटेगा ।

  1. यह वक्तव्य दादाभाई नौरोजीको भेजा गया था । इसे उन्होंने भारत-मन्त्रीको भेज दिया था। इसकी एक प्रति सर विलियम वेडरबर्नको भेजी गई थी, जिन्होंने उसे भारतके वाइसरायके पास भेज दिया था ।
  2. देखिए "पत्र : उपनिवेश सचिवको,” फरवरी १८, १९०३ ।
  3. देखिए “अभिनन्दनपत्र : चेम्बरलेनको” जनवरी ७, १९०३।