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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं आशा करता हूँ कि जो संयुक्त समिति[१] लॉर्ड जॉर्जसे मिली थी वह इतना पूछनेकी कोशिश करेगी कि पुराने कानूनको रद करनेका कानून कब और किस आधारपर बनाया जायेगा । यह काम जल्दी कर लेना आवश्यक है। भारतीय मामलोंकी व्यवस्थासे सम्बन्धित कुछ अधिकारियोंका रुख बहुत ही असहानुभूतिपूर्ण है; इसलिए उनके रहते भारतीयोंको बहुत बड़ी कठिनाइयोंमें होकर गुजरना पड़ेगा। अगर इसमें देर लगेगी तो शायद कुछ खास तौरसे कठिन मामलोंकी ओर हमें मित्रोंका ध्यान अवश्य खींचना पड़ेगा। अभी हम यहाँ ही न्याय प्राप्त करनेका प्रयत्न कर रहे हैं।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया आफिस : ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ४०२।


२१८. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

बॉक्स २९९
जोहानिसबर्ग
फरवरी २३, १९०३

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

इस देशमें घटनाएँ बड़ी तेजीसे घट रही हैं और स्वाभाविक है कि मैं घमासानके बीचमें हूँ । संघर्ष मेरी अपेक्षासे बहुत अधिक जोरदार है।

इसके साथ प्रिटोरियामें श्री चेम्बरलेनके सामने पेश किया गया वक्तव्य[२] भेज रहा हूँ, और आजतककी स्थितिके लंदन भेजे गये वक्तव्य[३] की नकल भी । यहाँ दबी-छुपी कार्रवाइयाँ बहुत हो रही हैं। पुराने कायदे सख्तीसे लागू किये जा रहे हैं, जिसका शायद यह मतलब है कि मुझे यहाँ मार्चके बाद भी रुकना पड़ेगा ।

श्री चे०[४]से जो शिष्ट-मण्डल मिलनेवाला था, बड़े मौकेपर मैं उसमें जा मिला । आशा है कि आपको शि० मं०[५] के वक्तव्य[६]की नकलें मिल चुकी होंगी।

आप वहाँ भरसक कोशिश करेंगे--- मैं ऐसी उम्मीद करता हूँ । पत्रोंमें लगातार और समझके साथ इसपर चर्चा होती रहे तो लाभ होगा । आशा है आप अच्छे हैं ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो नकल (एस० एन० ४१००) से ।

  1. ईस्ट इंडिया असोसिएशन और ब्रिटिश समितिने यह संयुक्त समिति दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंसे सम्बन्धित मामलों पर कार्रवाईके लिए बनाई थी।
  2. "अभिनन्दन पत्र : चेम्बरलेनको,” जनवरी ७, १९०३।
  3. "भारतीय प्रश्न,” फरवरी २३, १९०३ ।
  4. चेम्बरलेन ।
  5. शिष्ट-मण्डल ।
  6. "प्रार्थना-पत्र : चेम्बरलेनको,” दिसम्बर २७, १९०२ ।