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२२०. पत्र : "वेजिटेरियन" को

बॉक्स २९९
जोहानिसबर्ग
[मार्च २१, १९०३ के बाद ]

सेवामें

सम्पादक
वेजिटेरियन
[ लंदन ]

महोदय,

आपके पत्रलेखक "के" ने गत मासकी २१ तारीखके अंकमें जो जानकारी चाही है, उसके सम्बन्धमें निवेदन है कि शायद नीचे दी हुई सामग्री उनके काम आ जाये ।

दक्षिण आफ्रिकामें मकईके आटेको छोड़कर, जो इसी देशकी पैदावार है, जीवनके लिए जरूरी हर चीज इंग्लैंडसे महँगी है। छड़े आदमीके मामूली ठीक रहन-सहनका मासिक खर्च कमसे-कम १५ पौंड आंका जा सकता है। एक आदमीके सोने लायक कमरेका माहवारी किराया आसानीसे ४ पौंड पड़ता है। साधारण अच्छे भोजनका माहवारी खर्च १२ पौंडसे कम नहीं होता ।

नेटालमें एक दूकानदार कुछ विशेष शाकाहारी चीजें बाह्रसे मँगा रखता है, किन्तु जहाँतक मुझे मालूम है ऑरेंज रिवर कालोनी में वे चीजें कोई नहीं मँगाता । अगर आपके पत्र-लेखक ऐसी कुछ चीजें थोड़ी-बहुत मात्रामें अपने पास रख छोड़ें तो सुभीता होगा ।

कूनेके सिद्धान्तोंके अनुसार कुशलतासे चलाया जानेवाला एक शाकाहारी भोजनालय जोहानिसबर्गमें है । मैं यह भी कह दूँ कि चूंकि इस देशमें फलोंकी बहुतायत है, शाकाहारी भोजनके सम्बन्धमें यहाँ कोई कठिनाई नहीं है।

दक्षिण आफ्रिकामें रोजी-रोटीकी सम्भावनाओंके सम्बन्धमें आशावान होनेके खिलाफ आपके पत्रलेखकको चेतावनी दे देना फिजूल नहीं होगा। हर जगह मनुष्य-संख्याकी रेल-पेल बहुत है । बेकारोंकी संख्या बहुत बड़ी है, व्यापार मंदा है और लोगोंकी समझमें नहीं आता कि अगर निकट भविष्यमें खदानोंमें काम करनेवाले मजदूरोंका प्रश्न हल नहीं हुआ तो क्या होगा।

आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
वेजिटेरियन, २५-४-१९०३