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४.अभिनंदनपत्र : जार्ज विन्सेंट गॉडफ्रेको

यह अभिनन्दनपत्र गांधीजीका लिखा हुआ है और मार्च १८, १८९८ को डर्बनके भारतीयोंको एक सभामें श्री जॉ० वि० गॉडफ्रेको अर्पित किया गया था। गांधीजी इसपर हस्ताक्षर करनेवालों में भी शामिल थे ।

[मार्च १८, १८९८ के पूर्व]

श्रीमान् जॉर्ज विन्सेंट गॉडफ्रे
डर्बन


प्रिय श्री गॉडफ्रे,

हम, नीचे हस्ताक्षर करनेवाले भारतीय, उपनिवेशकी हाल ही की नागरिक सेवा (सिविल सविसेज़) परीक्षामें आपकी सफलतापर इस पत्र द्वारा आपका अभिनन्दन करते है। उपनिवेशके भारतीयोंमें इस परीक्षामें बैठने और उत्तीर्ण होनेवाले आप पहले व्यक्ति हैं, इसलिए भारतीय समाज इस घटनाको बहुत महत्त्वपूर्ण मानता है। आप पहले असफल हो चुके हैं यह, हमारे खयालसे, आपके लिए प्रशंसाकी वस्तु है। इससे मालूम होता है कि आपने कठिनाइयों और अस- फलताओंके बावजूद प्रयत्न नहीं छोड़ा। कठिनाइयाँ और असफलताएँ तो सफलताकी सीढ़ियां हैं। हम यहाँ यह उल्लेख करना भूल नहीं सकते कि श्री सुभान गॉडफ्रे भी भारतीय समाजके धन्यवादके पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने आपको अध्ययन करने का अवसर दिया। जैसे आपने यह दिखाया है कि अवसर मिलनेपर इस उपनिवेशका एक भारतीय युवक अध्ययनके क्षेत्रमें क्या कर सकता है, वैसे ही उन्होंने उपनिवेशके अन्य भारतीय माता-पिताओंके सामने वास्तवमें एक उदाहरण पेश कर दिया है कि अपने बच्चोंको शिक्षा दिलानेके लिए पिताको क्या करना चाहिए। बच्चोंको शिक्षा देनेके सम्बन्धमें उनकी उदारताका एक और भी अधिक ज्वलन्त उदाहरण यह है कि उन्होंने आपके सबसे बड़े भाईको चिकित्साशास्त्रका अध्ययन करनेके लिए ग्लासगो भेजा है। हमें यह जानकर हर्ष है कि नागरिक सेवा-परीक्षा उत्तीर्ण कर लेनेसे ही आपकी महत्त्वाकांक्षाका अन्त नहीं हुआ, बल्कि आप अब भी बहुत आगे तक अपना अध्ययन जारी रखनेकी इच्छा कर रहे है। हमारी प्रार्थना है कि परमात्मा आपको दीर्घ जीवन और स्वास्थ्य प्रदान करे, जिससे आप अपनी अभिलाषाएँ पूर्ण कर सकें। हम आशा करते हैं कि उपनिवेशके अन्य भारतीय युवक आपकी लगन और परिश्रमशीलताका अनुकरण करेंगे और आपकी सफलता उन्हें प्रोत्साहित करनेवाली होगी।

आपके सच्चे शुभचिन्तक
और मित्र

[अंग्रेजीसे]
नेटाल ऐडवर्टाइज़र, १९-३-१८९८