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पत्र : गो० कृ० गोखलेको

मैं जानता हूँ कि मैं आपको, आपके अन्य कार्योंके बीचमें कागजपत्रों और दस्तावेजोंसे लाद रहा हूँ। इसके लिए मेरे पास एक यही बहाना है कि यह प्रश्न बड़े महत्त्वका है ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया ऑफ़िस : ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ४०२ ।


२३२. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

कोर्ट चेम्बर्स, रिसिफ स्ट्रीट
पो० ऑ० बॉक्स ६५२२
जोहानिसबर्ग
मई १०, १९०३

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

मैं यहाँ बसकर बहुत बड़ी मुश्किलोंमें पड़ा हूँ । अब समस्याने बड़ा गम्भीर रूप धारण कर लिया है, इसलिए उसपर बहुत बारीकीसे ध्यान देनेकी जरूरत है। मुझे कबतक रुकना पड़ेगा, यह कहना कठिन है । स्वयं अपने बारेमें लिखनेके लिए मेरे पास समय है ही नहीं ।

साथ बन्द कतरनें अत्यन्त महत्त्वकी हैं। मैं देखता हूँ कि बम्बई व्यापार-संघ (चेम्बर ऑफ कॉमर्स) ने सख्त विरोध-पत्र भेजा है । परन्तु, मुझे भय है, वह जानकारीसे रहित है। केप-अधिनियम निश्चय ही बुरा है । उसमें संशोधनकी आवश्यकता है। परन्तु दरवाजेको बिलकुल खुला रखना लगभग असम्भव जान पड़ता है। उसके अधीन बहुतसे विदेशी गोरे निकाले जा चुके हैं । उपनिवेशियोंकी यह निश्चित नीति जान पड़ती है कि वे अपने यहाँ देशान्तरवासको नियंत्रित करेंगे। इसलिए हमारा सच्चा और कारगर कदम यह होना चाहिए कि हम रंगके आधारपर बने विधानका विरोध करें। केप-अधिनियम और नेटाल-अधिनियम तत्त्वतः सभीपर लागू होनेवाले हैं । वे हमपर कड़ी चोट इसलिए करते हैं कि शिक्षाकी कसौटीमें भारतीय भाषाओंका ज्ञान सम्मिलित नहीं है । केप-अधिनियमका मसविदा तो ऐसा बनाया गया था कि उसमें भारतीय भाषाओंका ज्ञान शामिल हो जाये; परन्तु समितिने इसमें संशोधन कर दिया। यहाँका विधान भारतीयोंके विरुद्ध है (उसमें भारतीयोंको 'एशियाकी आदिम जातियोंके लोग' बताया गया है) और वह उन्हें जायदाद आदि रखने के अधिकारसे वंचित करता है। आपको इन कानूनोंके पूरे पाठ पहले भेजे गये कागजोंमें मिलेंगे ।

यदि आपका स्वास्थ्य अच्छा हो और आप समय निकाल सकते हों तो कृपया इस प्रश्नका अध्ययन करें और भारतमें इसके विरुद्ध आन्दोलन चलायें। जितना ही मैं अपने लोगोंके देशान्तरवासका असर उनके चरित्रपर देखता हूँ उतना ही मेरा यह विश्वास दृढ़ होता है कि सबपर लागू किये जाने योग्य साधारण नियंत्रणोंके अधीन भी उपनिवेशोंमें हमारे देशान्तरवासके लिए दरवाजा खुला रखा गया तो हमारे लिए महान संभावनाएँ हैं ।

आपका सच्चा,
मो० क० गांधी

मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो नकल (जी० एन० ४१०१) से ।