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२३३. टिप्पणियाँ

बॉक्स ६५२३
जोहानिसबर्ग
मई १६, १९०३

ट्रान्सवालकी स्थिति

अभी कलमकी स्याही सूखने भी नहीं पाई है कि सरकारी तौरपर सूचना आ गई कि सरकार ३ पौंडके पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कर को १८८५ की धारा ३ के अनुसार लागू करना चाहती है। लंदनवासी मित्रोंसे मिली सूचनासे प्रकट होता है कि इस कानूनमें परिवर्तन होगा । यदि ऐसा है तो यह कल्पना करना मुश्किल है कि यह ३ पौंडी पंजीकरण कर वसूल करनेका प्रस्ताव ही अभी क्यों किया जा रहा है। बोअर शासनमें यह अनिवार्य रूपसे कभी नहीं वसूल किया गया था।

यह समझसे परे है कि जिस करसे ब्रिटिश सरकार हमारी रक्षा करती थी, वही अब उसके नामपर जमा क्यों किया जाये; इस करके पक्षमें तो अभी जनताके राग-द्वेषका बहाना भी नहीं किया जा सकता। यूरोपीयोंका आन्दोलन व्यापारी परवानोंके विरुद्ध है। एशियाई-विरोधी सभाओंमें किसीने इस करकी वसूलीके बारेमें कानाफूसी भी नहीं की।

परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नरके पास हमने एक आदरयुक्त विरोध-पत्र भेजा है और यह सम्भव नहीं जान पड़ता कि उसके लन्दन पहुँचनेसे पहले करकी वसूली स्थगित कर दी जायेगी । परन्तु स्थिति इतनी नाजुक हो गई है कि आगे जो कुछ भी हो, उसकी खबर लंदनको भेजते रहना उचित माना गया है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया ऑफ़िस : ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ४०२ ।


२३४. ब्रिटिश भारतीय संघ और लॉर्ड मिलनर

गत मासकी २२ तारीखको ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन) का एक शिष्ट-मंडल लॉर्ड मिलनरसे मिला था । उसकी भेंटका नीचे लिखा ब्यौरा लॉर्ड मिलनरने पत्रोंमें छपनेके लिए भेजा है ।

उपस्थित: परमश्रेष्ठ गवर्नर ट्रान्सवाल और सर्वश्री मो० क० गांधी, अब्दुल गनी, हाजी हबीब, एच० ओ० अली, एस० वी० टॉमस और इमाम शेख अहमद ।

श्री मो० क० गांधीने कहा कि मैं शिष्ट-मण्डलकी तरफसे इस भेंटके लिए परमश्रेष्ठको धन्यवाद देना चाहता हूँ। हम तीन पौंडी व्यक्ति कर और भारतीयोंके सामान्य प्रश्नपर चर्चा करना चाहते हैं। जब हमने परमश्रेष्ठका म्यूनिसिपल कांग्रेसमें दिया हुआ भाषण पढ़ा तो हमारे मनमें परमश्रेष्ठके वहाँ प्रकाशित भावोंके लिए कृतज्ञता पैदा हुई और हमने सोचा, अब