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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

नये परवाने प्राप्त कर लिये । परन्तु उन लोगोंसे कहा जाता है कि वे अपने परवानोंको नया नहीं करवा सकते, क्योंकि लड़ाईके पहले उन हलकोंमें व्यापार करनेके परवाने उनके पास नहीं थे ।

लॉर्ड मिलनर : यह तो नई बात है । मैं तो उन लोगोंके बारेमें सोच रहा था, जो युद्धके पहले किसी खास शहरमें व्यापार कर रहे थे, पर अब उसो शहर की किसी दूसरी दुकानमें करना चाहते हैं ।

एच० ओ० अली : बात यह है --- मान लीजिए कि लड़ाईके पहले मेरी दूकान जोहानिसबर्गमें कमिश्नर स्ट्रीटमें थी, और अब मैं उसके बदलेमें हाइडेलबर्गमें व्यापार करना चाहता हूँ । ऐसा करनेकी इजाजत मुझे नहीं मिलती, क्योंकि लड़ाईसे पहले हाइडेलबर्गमें व्यापार करनेका परवाना मेरे पास नहीं था ।

लॉर्ड मिलनर : यह बिलकुल नई बात है। इसपर मुझे विचार करना होगा। मैं तब अपनी राय दे सकूंगा ।

एच० ओ० अली: हमारे खिलाफ जो यह आन्दोलन किया जा रहा है उसको जड़में व्यापारिक ईर्ष्या है ।

लॉर्ड मिलनर : मैं तो देखता हूँ कि ऐसी व्यापारिक ईर्ष्या यहाँ बहुत अधिक है। यह बिलकुल स्वाभाविक है । यहाँपर काले लोगोंकी आबादी बहुत बड़ी है। उनके बीच बहुत कम गोरे लोग रहते हैं । उनके लिए कुछ खास धन्धे ही तो खुले हैं। इसलिए अगर वे चाहें कि इस उपनिवेशमें बहुतसे अजनबी लोग घुसकर उनकी रोटी न छीन पायें तो यह स्वाभाविक है। इसलिए उपनिवेशमें नये आदमियोंके आनेपर रोक लगानेके लिए वे जो कह रहे हैं सो बिलकुल ठीक है। अगर यहाँपर एक लाख आदमियोंके लिए रोजीके साधन हैं तो हम नहीं चाहेंगे कि यहाँपर दो लाख आ जायें और हमें दबा लें। हमारी संख्या यहाँपर इतनी कम है कि हम बाहरके लोगोंका---सो भी दूसरी कौमके लोगोंका--- बेरोक आने देना बरदाश्त कर ही नहीं सकते । यहाँ पहलेसे ही इतनी अधिक प्रजातीय समस्याएँ मौजूद हैं ।

हाजी हबीब : फिर भी भारतमें तो भारतीयोंके बीच व्यापार करके बहुतसे गोरे अपना पेट भर ही रहे हैं। परन्तु बाजारोंके बारेमें क्या होगा ? इनमें भारतीय वैसे मकान-दुकान कैसे बना सकते हैं जैसे उनके लिए बनाना जरूरी बताया गया है ? फिर आज ३० बाजारों की माँग हो सकती है तो कल ३०० की । मुद्देकी बात यह है कि हम ऐसा कोई कानून नहीं चाहते जिसके अनुसार हमें बाजारोंमें जाकर बसनेके लिए मजबूर किया जा सके ।

लॉर्ड मिलनर : मैं नहीं चाहता कि अभी जो भारतीय वहाँ हैं उनको बाजारोंमें भेजा जाये । परन्तु मैं समझता हूँ कि हमें यह कहने का हक है कि एशियाके व्यापारियोंको हम उचितसे अधिक संख्यामें यहाँ नहीं आने देंगे। अगर वे आयेंगे तो उन्हें कुछ प्रतिबन्धोंके साथ ही आना पड़ेगा।

श्री गांधी : उस दिन परमश्रेष्ठ लेफ्टिनेंट गवर्नरके सामने यह प्रस्ताव रखा गया था कि बाजार बसानेके लिए जो जमीनें प्राप्त की गई हैं वे हमें बता दी जायें। हमने यह भी सुझाया था कि जो कोई नया परवाना लेना चाहता है उससे पूछा जाये कि क्या वह उस जमीनपर अपनी दूकान खड़ी करनेके लिए परवाना लेगा । परन्तु यह लाजिमी न हो कि हम वहीं जाकर व्यापार करें। ऐसा करनेसे स्वभावतः हमें बुरा लगता है । अगर बाजार हो तो स्वाभाविक ही है कि गरीब वर्गके भारतीय वहाँ चले जायेंगे। अब भी इस वर्गके अधिकतर लोग बस्तियोंमें ही हैं। वे वहाँ स्वभावतः बस गये हैं ।

लॉर्ड मिलनर : नया कानून बनाते समय आपकी बातपर जरूर विचार करना चाहिए । परन्तु अभी तो मैं इस बातपर जोर देता हूँ कि जबतक वर्तमान पद्धति जारी है सरकारका