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२३५. ट्रान्सवालकी स्थिति

[ जोहानिसबर्ग
मई २४, १९०३ ]

२३ मई, १९०३ को समाप्त सप्ताहमें ट्रान्सवालकी स्थिति

स्मरण होगा कि सन् १८८५ के तीसरे कानूनके अन्तर्गत, जो सन् १८८६ में संशोधित हुआ[१], उपनिवेशमें आबाद होनेवाले प्रत्येक भारतीयको ३ पौंड पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन)-शुल्क देना आवश्यक है ।

सरकारने उक्त कानूनको लागू करनेका निर्णय किया; अतः उसने विज्ञापित किया कि जिन भारतीयोंने पिछले शासनमें ३ पौंड कर नहीं दिया है वे उसे तत्काल दे दें। इसलिए भारतीयोंने निम्नलिखित आधारोंपर लॉर्ड मिलनरसे संरक्षणकी अपील की :

(१) सन् १८८५ का तीसरा कानून ब्रिटिश सरकारने कभी मंजूर नहीं किया और वह कूटनीतिक निवेदनोंके विफल हो जानेके बाद ही कानूनकी किताबमें रहा ।

(२) पिछले शासनमें यह कर नियमित रूपसे कभी लागू नहीं किया गया।

(३) यह कानून, जिसके हटाये जानेकी बात भी युद्धका एक कारण थी, लागू नहीं किया जाना चाहिए।

(४) पासों और अफसरोंके लगातार परिवर्तनसे भारतीयोंको अब विश्राम आवश्यक है। एशियाई कार्यालयने, जिसके जुएमें फेंदे हुए वे कराह रहे हैं, उनसे स्थायी अनुमति-पत्र छीन लिये हैं और उनको अस्थायी पास दिये हैं। ऐसा करनेका उसे कोई कानूनी अधिकार न था । इन पासोंके बदले फिरसे अनुमति पत्र दिये गये । भारतीयोंके दिमागोंमें से पुलिसके मुकदमोंकी स्मृति अभी मिटी भी नहीं थी कि पंजीकरणके प्रमाणपत्रों (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट्स) का प्रस्ताव आ धमका है, जिसके लिए ३ पौंड देने पड़ेंगे।

(५) गरीब फेरीवाले और दूसरे भारतीयोंके लिए इसका भुगतान करना इतना भारी पड़ेगा कि वे कुचल जायेंगे। उनके लिए ३ पौंडकी रकम देना मजाक नहीं है ।

(६) जो व्यक्ति यह कर न दे सकेगा उसपर १० पौंडसे १०० पौंडतक जुर्माना किया जा सकेगा, अन्यथा उसे १४ दिनसे छः मासतककी कैदकी सजा भुगतनी होगी। उपनिवेशके अन्य कर केवल दीवानी आदेशपत्रसे वसूल किये जा सकते है ।

(७) यह कर आय बढ़ानेके उद्देश्यसे नहीं लगाया गया है, बल्कि भविष्यमें प्रवासियोंका आगमन रोकनेके लिए है। किन्तु चूंकि उपनिवेशमें केवल वास्तविक शरणार्थी ही प्रविष्ट होने दिये जाते हैं, इसलिए निरोधक करकी कोई आवश्यकता नहीं है।

(८) ३ पौंडी कर केवल गेहुँआ चर्मधारी होनेकी सजा है। मालूम यह होता है कि जहाँ काफिरोंपर बिलकुल काम न करने या अपर्याप्त काम करनेके कारण कर लगाया गया है, वहाँ हमपर प्रत्यक्षतः इसलिए कर लगाया जाना है कि हम अत्यधिक काम करते हैं। दोनोंमें समान रूपसे एक ही चीज मिलती है और वह है श्वेत चर्मका अभाव ।

  1. देखिए खण्ड १, ५४ ३९१ ।