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ट्रान्सवालकी स्थिति

(९) इस सम्बन्धमें सबसे अजीब बात यह है कि इस करकी वसूलीकी कोई माँग गोरे संघों (ह्वाइट लीग्ज) की ओरसे नहीं की गई है। वे केवल एक बात चाहते हैं और वह है भारतीयोंका निर्वासन --- बिलकुल देशके बाहर नहीं तो शहरोंके बाहरकी पृथक् बस्तियोंमें ही सही।

इस मामलेमें एक शिष्ट-मण्डल परमश्रेष्ठ [ लॉर्ड मिलतर ] से मिला था। उन्होंने उसकी बात देरतक धैर्य और शिष्टतासे सुनी; किन्तु कहा कि करको लागू न करनेके पक्षमें ऊपर जो आधार गिनाये गये हैं उनमें से एक भी उन्हें मजबूत दिखलाई नहीं पड़ता; और यह कि, भारतीयोंके प्रति सरकारका भाव अमित्रवत् नहीं है, और परमश्रेष्ठके विचारसे, यद्यपि भविष्यमें भारतीयोंका प्रवास निश्चय ही नियन्त्रित रहेगा, वर्तमान निवासी अच्छे व्यवहारके अधिकारी हैं। शिष्ट-मण्डल द्वारा उठाई अन्य बातोंके उत्तरमें परमश्रेष्ठने कहा, मैं विचार कर रहा हूँ कि वर्तमान कानूनके स्थानमें दूसरा कानून कैसे लाया जाये। उन्होंने यह भी कहा कि एशियाई कार्यालयके पृथक् रहनेमें मुझे कोई बात अनुचित नहीं दिखाई देती । वह तो वास्तवमें भारतीयोंके लिए हितकारी है। उन्होंने हमें सलाह दी कि हम करके भुगतानका विरोध न करें और अनिवार्यके आगे सिर झुकायें ।

यद्यपि करके भुगतानके सम्बन्धमें हम, आदरपूर्वक, परमश्रेष्ठसे भिन्न राय रखते हैं, तथापि हमने उनकी सलाह मान लेनेका निर्णय किया है : (१) क्योंकि जब कभी सम्भव हो, हम सरकारसे सहमत होना चाहते हैं और (२) क्योंकि हमारा खयाल है कि हमारी शक्ति और हमारे लंदनके मित्रोंकी शक्ति एक ही केन्द्रीय बातमें लगनी चाहिए, और वह बात है वर्तमान कानूनको रद कराना ।

एशियाई कार्यालयके सम्बन्धमें जब कि परमश्रेष्ठका यह विचार बहुत ही समाधानप्रद है कि, अबतक वह हमारे लिए हितकारी है, तब, व्यवहारमें वह स्थापनाके दिवससे ही हमारे ऊपर सचमुच एक जुआ ही सिद्ध हुआ है। भारतीय समुदायने कभी जाना ही नहीं कि चैनकी साँस लेना कैसा होता है ।

ईस्ट लंदन

दुरै सामी और नाडा नामके दो स्वच्छ वस्त्रधारी भारतीयोंको क्रमशः ६ और ९ मईको ईस्ट लंदनकी ऑक्सफोर्ड स्ट्रीटमें सड़ककी पटरीपर चलनेके अपराधमें दो-दो पौंड जुर्माने या क्रमशः १४ दिन और एक मासकी कड़ी कैदकी सजा दी गई है । इसलिए पटरीपर चलनेका उपनियम पूरी तरहसे अमलमें लाया जा रहा है। इससे ईस्ट लंदनके भारतीयोंमें स्वभावत: हैरानी पैदा हो गई है। भारतीय विरोधपत्रका जो उत्तर नगर परिषदने दिया था उसकी ध्वनिसे यह आशा हुई थी कि यह कानून विधिवत् अमलमें न लाया जायेगा और कमसे-कम, साफ- सुथरे वस्त्र पहने हुए भारतीय अपमानित न किये जायेंगे। किन्तु ईस्ट लंदनके भारतीय संघके मन्त्रीसे पुलिसने नम्रतापूर्वक यह कहा कि वे पटरीसे दूर रहें, अन्यथा गिरफ्तार कर लिये जायेंगे। हालत बहुत ही दुःखदायी है। यदि श्री चेम्बरलेन ईस्ट लंदनमें वर्तमान कानूनके अमलमें या खुद वर्तमान कानूनमें सरकारी तौरपर हस्तक्षेप नहीं कर सकते, तब भी वहाँके लोग यह आशा करते हैं कि वे कृपा करके गोरे अधिवासियोंसे मित्रवत् प्रार्थना करें और अपना भारी प्रभाव काममें लायें, और उन्हें ऐसे परेशान करनेवाले मुकदमोंसे हाथ खींचनेके लिए रजामन्द करें, जिनका कोई भी औचित्य नहीं है ।

इस बीच ईस्ट लंदनके अत्यन्त सम्मानित भारतीय गिरफ्तारीके भयसे वहाँकी मुख्य सड़कोंकी पैदल-पटरियोंसे दूर रहनेके लिए बाध्य हैं। यह स्थिति उन्हें सदा स्मरण दिलाती